Tuesday, 20 February 2024

श्वेत गार्ड्स - 14

 

14


वे मिल गए. किसी को भी कोई नुक्सान नहीं हुआ था, और अगली ही शाम को वे मिल गए. 

“वो है,” अन्यूता के सीने में आवाज़ आई, और उसका दिल लरिओसिक के पंछी की तरह उछलने लगा. तुर्बीन के किचन की बर्फ से ढंकी छोटी-सी खिड़की पर आँगन से सावधान खटखटाहट हुई. अन्यूता खिड़की से चिपक गई और गौर से चेहरे को देखने लगी. वही है, मगर बिना मूंछों के...वो...अन्यूता ने दोनों हाथों से काले बालों को ठीक किया, पोर्च का दरवाज़ा खोला, और पोर्च से बर्फीले आँगन का, और मिश्लायेव्स्की असाधारण रूप से उसके निकट था. स्टूडेंट वाला कोट, ऊदबिलाव के कॉलर वाला और टोपी...मूंछें गायब हो गई थीं....मगर आंखें, पोर्च के आधे-अँधेरे में भी अच्छी तरह पहचानी जा सकती थीं. दाईं हरी किरण से आलोकित. यूराल के रत्न की भाँति, और बाईं काली...और उसकी ऊंचाई भी कम हो गई है...

अन्यूता ने थरथराते हाथ से कुंडी खोली, और आँगन गायब हो गया, और किचन से आती रोशनी इसलिए गायब हो गई कि मिश्लायेव्स्की के ओवरकोट ने अन्यूता को घेर लिया और बेहद जानी-पहचानी आवाज़ फुसफुसाई:

“नमस्ते, अन्यूतच्का...आपको ठण्ड लग जायेगी...और, क्या किचन में कोई नहीं है, अन्यूता?

“कोई नहीं है,” बिना सोचे-समझे कि क्या कह रही है, और न जाने क्यों फुसफुसाते हुए अन्यूता ने जवाब दिया. “चूम रहा है, होंठ मीठे हो गए”, मीठी पीड़ा से उसने सोचा और फुसफुसाई: “विक्तर विक्तरविच...छोडिये... एलेना...”

“यहाँ एलेना किसलिए...यूडीकलोन और तम्बाकू से गंधाती आवाज़ उलाहने से फुसफुसाई, “क्या बात है, अन्यूतच्का...”

“ विक्तर विक्तरविच, छोडिये, मैं चिल्लाऊँगी, खुदा कसम,” अन्यूता ने भावावेश से कहा और मिश्लायेव्स्की की गर्दन से लिपट गई, “हमारे यहाँ दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई है -  अलेक्सेइ वसील्येविच ज़ख़्मी हो गए हैं...”

अजगर की पकड़ फ़ौरन छूट गई.

“कैसे ज़ख़्मी हो गए? और निकोल?!”  

“निकोल सही-सलामत है, और अलेक्सेइ वसील्येविच ज़ख़्मी हो गए हैं.”

प्रकाश पुंज किचन से, दरवाज़े से.

डाइनिंग रूम में एलेना मिश्लायेव्स्की को देखकर रोने लगी और बोली:

“वीत्का, तू ज़िंदा है...खुदा का शुक्र है...और हमारे यहाँ...” वह सिसकियाँ लेने लगी और तुर्बीन वाले दरवाज़े की ओर इशारा किया, “चालीस है उसका बुखार...अजीब सी ज़ख्म है...” 

“होली मदर,” मिश्लायेव्स्की ने अपनी कैप सिर के पीछे सरकाकर पूछा, “ये यहाँ कैसे आ गया?

वह मेज़ के पास बोतल और किन्हीं चमचमाते डिब्बों के ऊपर झुकी आकृति की तरफ़ मुडा.

“माफ़ कीजिये, क्या आप डॉक्टर हैं?

“नहीं, अफसोस है,” दयनीय और मरियल आवाज़ ने जवाब दिया, “डॉक्टर नहीं हूँ. मुझे अपना परिचय देने की इजाज़त दें: लरिओन सुर्झान्स्की.”

 

****  

 

ड्राइंगरूम. प्रवेश कक्ष का दरवाज़ा बंद है और परदा भी खिंचा हुआ है, ताकि शोर और आवाजें तुर्बीन तक न पहुंचें. उसके शयन कक्ष से सुनहरे पिंस-नेज़ (नाक पकड़ चश्मा - अनु.) में नुकीली दाढी वाला, दूसरा सफ़ाचट दाढ़ी वाला – जवान, और अंत में सफ़ेद बालों वाला बूढा और विद्वान, भारी-भरकम ओवरकोट और बोयारों वाली टोपी पहने, प्रोफ़ेसर, जो तुर्बीन का शिक्षक था, बाहर निकल कर अभी अभी गए थे. एलेना उन्हें बिदा कर रही थी, और उसका चेहरा मानो पत्थर हो गया था. कह रहे थे – टाइफ़स, टाइफ़स...और हो ही गया.

“ज़ख्म के अलावा, टाइफ़स ज्वर...”

और पारे का स्तंभ चालीस पर था और...”यूलिया”...छोटे से शयन कक्ष में लाल-लाल बुखार है. खामोशी, और खामोशी में बड़बड़ाहट किसी सीढ़ी के बारे में और टेलीफोन की घंटी के बारे में ‘ब्रिन्’....

****  

 

“हैलो, यारों, कैसे हो आप लोग,” मिश्लायेव्स्की ने ज़हरीली फुसफुसाहट से कहा और टांगें फैला लीं. गहरे-लाल, शिर्वीन्स्की ने अचकचा कर आंखें फेर लीं. उसके बदन पर काला सूट बिल्कुल फिट बैठा था; भीतरी वस्त्र गज़ब के थे और उसने बो-टाई पहनी थी; पैरों में पेटेंट चमड़े के जूते थे. “क्राम्स्की ऑपेरा स्टूडियो के आर्टिस्ट”. पहचान पत्र जेब में है. “आप बिना एपोलेट्स के क्यों हो?...” मिश्लायेव्स्की कहता रहा. “व्लादिमीर्स्काया पर रूसी झंडे फ़हरा रहे हैं...सिनेगालों की दो डिवीजन्स ओडेसा पोर्ट में और सर्बियन क्वार्टरमास्टर्स भी...जाईये, अफ़सर महाशयों, युक्रेन जाईये और टुकड़ियाँ बनाइये”...तेरी तो माँ को!...”

“ये तूने क्या लगा रखा है?..” शिर्वीन्स्की ने जवाब दिया. “क्या, मैं कुसूरवार हूँ?....ये मैं इसमें कहाँ से आ गया?...मुझे खुद को ही बस मार ही डाला था. मैं स्टाफ- हेडक्वार्टर से सबसे अंत में निकला था, ठीक दोपहर को, जब पिचेर्स्क से दुश्मनों की कतारें दिखाई दीं.”

“तुम – हीरो हो,” मिश्लायेव्स्की ने जवाब दिया, “मगर उम्मीद है कि महामहिम चीफ कमांडर, पहले ही निकलने में कामयाब हो गए...

बिल्कुल उसी तरह, जैसे हिज़ हाइनेस गेटमन...उसकी माँ...मैं इस उम्मीद से खुश हो जाता हूँ कि वे सुरक्षित स्थान पर हैं...मातृभूमि को उनकी ज़िंदगी की ज़रुरत है. वैसे, क्या तुम मुझे बता सकते हो, कि वे कहाँ पर हैं?

“तुम्हें किसलिए?

“ये, इसलिए.” - मिश्लायेव्स्की ने दायें हाथ की मुट्ठी बांधी और उससे बाईं हथेली को ठोंका. “अगर मुझे ये महामहिम और हिज़ हाईनेस मिल गए, तो मैं एक की बाईं टांग पकड़ता, और दूसरे की दाईं, गोल गोल घुमाता और ज़मीन पर उनके सर तब तक पटकता, जब तक मैं उकता न जाता. और तुम्हारे स्टाफ़ के कमीनों को तो शौचालय में डुबो देना चाहिए...”

शिर्वीन्स्की लाल हो गया.

“खैर, फिर भी, तुम, प्लीज़, सावधानी से बोलना,” उसने कहना शुरू किया, “आराम से...इस बात पर ध्यान दो, कि राजकुमार ने स्टाफ को भी छोड़ दिया. उसके दो एड्जुटेंट्स उसके साथ चले गए, और बाकी के किस्मत के भरोसे.

“तुझे पता है, कि इस समय म्यूज़ियम में हमारे क़रीब एक हज़ार आदमी बैठे हैं, भूखे, मशीनगनों के साथ...उन्हें तो पित्ल्यूरा के आदमी, खटमलों की तरह मसल देंगे...क्या तू जानता है, कि कर्नल नाय को कैसे मारा था?...वह अकेला ही था...”

“मुझे अकेला छोड़ दो, प्लीज़!...” सचमुच में गुस्सा होते हुए शिर्वीन्स्की  चीखा. “ये कैसा लहजा है?...मैं भी वैसा ही ऑफिसर हूँ, जैसे तुम हो!”

“ओह, महाशयों, छोडिये,” करास मिश्लायेव्स्की और शिर्वीन्स्की  के बीच पड़ते हुए बोला, “बिल्कुल बेहूदा बहस है. तुम असल में उससे क्यों उलझ रहे हो...छोडो, इससे कुछ हासिल नहीं होगा...”

“धीरे, धीरे,” निकोल्का अफ़सोस से फुसफुसाया, “उसके कमरे में सुनाई दे रहा है...”

मिश्लायेव्स्की परेशान हो गया, शर्मिन्दा हो गया.

“खैर, परेशान न हो, नीची आवाज़ है. ये तो मैं यूँ ही...अरे, तुम खुद ही समझते हो...”

“काफी अजीब बात है...”

“माफ़ कीजिये, महाशय, थोड़ा धीरे...” निकोल्का सतर्क हो गया और उसने फर्श पर पैर से खटखट किया. सब गौर से सुनने लगे. नीचे से, वसिलीसा के क्वार्टर से आवाजें आ रही थीं. धीमे से सुनाई दिया, कि वसिलीसा खुशी से और जैसे कुछ उन्माद से हँस पडा. जैसे इसके जवाब में, वान्दा ने भी खुशी से और खनखनाते हुए कुछ कहा. इसके बाद सब कुछ शांत हो गया. कुछ देर और धीमे-धीमे आवाजें भिनभिनाती रहीं.

“बात तो चौंकाने वाली है,” निकोल्का ने गहरी सोच में पड़कर कहा, “वसिलीसा के पास मेहमान...मेहमान. और वो भी ऐसे समय पर. वाक़ई में दुनिया का अंत होने वाला है.”

“हाँ, नमूना है आपका वसिलीसा,” मिश्लायेव्स्की ने पुष्टि की.

 

 

****  

 

करीब आधी रात का समय था, जब तुर्बीन मॉर्फीन के इंजेक्शन के बाद सो गया था, और एलेना उसके पलंग के पास कुर्सी पर बैठी थी. ड्राइंग रूम में मिलिट्री काउन्सिल की बैठक होने लगी.

यह तय किया गया कि सभी लोग रात को यहीं रुक जायेंगे, विश्वसनीय डॉक्यूमेंट्स होने पर भी, रात को, कहीं नहीं जायेंगे. दूसरी बात, एलेना के लिए भी अच्छा रहेगा, यदि उसकी थोड़ी बहुत मदद कर दें. और सबसे महत्वपूर्ण, ऐसे समय में अपने घर में न रहें, बल्कि किसी से मिलने चले जाएं. और एक बात, करने के लिए कुछ नहीं है, तो विन्त (ताश के पत्तो का खेल जो ब्रिज के समान होता है – अनु.) खेला जाए.  

“क्या आप खेलते हैं?” मिश्लायेव्स्की ने लरिओसिक से पूछा.

लरिओसिक लाल हो गया, घबरा गया और उसने सब कुछ उगल दिया, कि वह विन्त खेलता तो है, मगर बहुत, बहुत बुरा...बस, उसे कोई डांटे नहीं, जैसा टैक्स इंस्पेक्टर्स झितोमिर में डांटते थे...कि उसकी ज़िंदगी के साथ ड्रामा हुआ है, मगर यहाँ, एलेना वसील्येव्ना के यहाँ, उसकी रूह ज़िंदा हो उठती है, क्योंकि, बिल्कुल असाधारण व्यक्ति है, एलेना वसील्येव्ना, और उनके घर में गर्माहट और आराम है, ख़ास तौर से सभी खिड़कियों पर लगे दूधिया रंग के परदे  गज़ब के हैं, जिनकी बदौलत आप खुद को बाहरी दुनिया से कटा हुआ महसूस करते हो...और वो, मतलब, ये बाहरी दुनिया...आप खुद भी सहमत होने, गंदी, खूनी और बेमतलब की है.

“माफ़ कीजिये, क्या आप कवितायेँ लिखते हैं?” गौर से लरिओसिक की ओर देखते हुए मिश्लायेव्स्की ने पूछा.

“लिखता हूँ,” सकुचाते हुए, लाल होते हुए लरिओसिक ने कहा.

“अच्छा...माफ़ कीजिये कि मैंने आपको बीच में ही टोक दिया...तो बेमतलब की, आप कहते हैं...अपनी बात जारी रखिये, प्लीज़...”

“हाँ, बेमतलब की, और हमारी ज़ख़्मी रूहें खासकर ऐसे ही दूधिया रंग के परदों के पीछे सुकून की तलाश करती हैं...

“मगर, जानते हैं, जहाँ तक सुकून का सवाल है, पता नहीं, आपके झितोमिर में क्या हाल है, मगर यहाँ शहर में तो आपको, शायद, नहीं मिलेगा...तू गला गीला कर, वर्ना तो खूब धूल उड़ रही है. मोमबत्तियां हैं? बढ़िया. उस हालत में हम आपको ‘डमी’ दर्ज करेंगे...पाँच लोगों के बीच खेल मरियल हो जाता है...”

“और निकोल्का, ‘डमी की तरह खेलता है,” करास ने फ़ब्ती कसी.

“चलो भी, फेद्या. पिछली बार भट्टी के पास कौन हार गया था? तुमने खुद ही तो पत्ते दबाये थे. दूसरों पर कीचड़ क्यों उछालते हो?

“पित्ल्यूरा के नीले धब्बे...”

“बिल्कुल दूधिया रंग के परदों के पीछे ही रहना चाहिए. न जाने क्यों सब लोग कवियों पर हँसते हैं...”

“ख़ुदा बचाए...आप मेरे सवाल को गलत क्यों समझ बैठे. मुझे कवियों से कोई शिकायत नहीं है. मैं, असल में, कवितायेँ नहीं पढ़ता...”

“और दूसरी कोई किताबें भी नहीं पढ़ता, सिवाय ‘आर्टिलरी मैन्यूअल’ और ‘रोमन लॉ’ के ... सोलहवें पृष्ठ पर लड़ाई आरंभ हो गई, उसने किताब फेंक दी...’
“झूठ बोलता है
, इसकी बात न सुनिए...आपका नाम और कुलनाम – लरिओन  इवानविच?

लरिओसिक  ने समझाया कि वह लरिओन लरिओनविच है, मगर उसे यह सारा समूह, इतना अच्छा लग रहा है, जो समूह नहीं, बल्कि एक मिलनसार परिवार है, कि वह चाहेगा, कि उसे सिर्फ अपने नाम – ‘लरिओन से बुलाया जाए, बिना कुलनाम के...बेशक, अगर किसी को कोई आपत्ति न हो तो.

“अच्छा लड़का लग रहा है...” संयमित करास ने फुसफुसाकर शिर्वीन्स्की से कहा.

“ठीक है...दोस्ती करते हैं...क्यों...झूठ बोल रहा है: अगर जानना चाहते हो, तो “युद्ध और समाज” पढ़ रहा था...ये है, वाकई में किताब. अंत तक पढ़ गया – और प्रसन्नता से. मगर क्यों? क्योंकि उसे किसी बेवकूफ़ ने नहीं लिखा, बल्कि आर्टिलरी ऑफिसर ने लिखा है. आपके पास दस्सी है? आप मेरे साथ...करास शिर्वीन्स्की  के साथ...निकोल्का, तू निकल.”

“सिर्फ, खुदा के लिए, आप मुझे डांटना नहीं,” लरिओसिक ने कुछ घबराहट से कहा.            

“आप, असल में, कहना क्या चाहते हैं? क्या हम कोई आदिवासी, नरभक्षक हैं? ये आपके यहाँ झितोमिर में कोई बदहवास टैक्स इन्स्पेक्टर होंगे, उन्होंनें आपको डरा दिया होगा...हमारे यहाँ संजीदगी से खेलते हैं.”

“मेहेरबानी से, आप निश्चिन्त रहें,” शिर्वीन्स्की ने बैठते हुए कहा.

“दो हुकुम...हाँ-आ...तो लेखक थे काउन्ट ल्येव निकलायेविच टॉलस्टॉय, आर्टिलरी के लेफ्टिनेंट...अफसोस, कि उन्होंने नौकरी छोड़ दी...जनरल के ओहदे तक पहुँच जाते...हाँलाकि, ठीक है, कि उनके पास जायदाद थी. बोरियत के कारण भी उपन्यास लिखा जा सकता है...सर्दियों में करने के लिए कुछ नहीं होता...अपनी इस्टेट में ये बहुत आसान है. बिना ट्रम्प के...

“तीन ईंट,” लरिओसिक ने डरते हुए कहा.

“पास,” करास ने कहा.

“आप कर क्या रहे हैं? आप तो बहुत अच्छा खेलते हैं. आपको डांटना नहीं, बल्कि आपकी तारीफ़ करना चाहिए. खैर, अगर तीन ईंट हैं, तो हम कहेंगे – चार हुकुम. मैं खुद भी इस समय अपनी इस्टेट में चला जाता...”

“चार ईंट,” निकोल्का ने पत्तों में देखते हुए लरिओसिक को सुझाव दिया.

“चार? पास.”

“पास.”

स्टीअरिन की मोमबत्तियों की थरथराती रोशनी में, सिगरेटों के धुएँ में, परेशान लरिओसिक  ने पत्ते खरीदे. मिश्लायेव्स्की राइफलों के खोलों की तरह पार्टनर्स के सामने एक एक ताश का पत्ता फेंक रहा था.

“म्- हुकुम का शहंशाह,” उसने हुक्म दिया और लरिओसिक  को प्रोत्साहित किया, “शाबाश.”

मिश्लायेव्स्की के हाथों से पत्ते खामोशी से उड़ रहे थे, मैपल के पत्तों की तरह. शिर्वीन्स्की  सावधानी से फेंक रहा था, करास – बदनसीब – बेहूदगी से. लरिओसिक  ने, गहरी सांस लेते हुए, हौले से पत्ते रखे, मानो कोई परिचय पत्र हो.

“पापा-मामा”, हम देख चुके हैं,” करास ने कहा.

मिश्लायेव्स्की अचानक लाल हो गया, उसने ताश मेज़ पर उछाल दिए और जानवरों की तरह आंखें बाहर निकालकर लरिओसिक को देखते हुए गरजा:

“तुमने मेरी रानी को क्यों ढांक दिया? लरिओन ?!”

“बढ़िया. हा-हा-हा,” करास बेहद खुश हो गया, “एक और डाऊन!”

हरी मेज़ पर भयानक हंगामा होने लगा, और मोमबत्तियों की लौ झूलने लगी. निकोल्का, फुफकारते हुए और हाथ हिलाते हुए दरवाज़ा और परदे बंद करने भागा.

“मैं समझा कि फ्योदर निकलायेविच के पास राजा है,” लरिओसिक  मरियल आवाज़ में बोला/

“ऐसा कैसे सोच सकते हो...” मिश्लायेव्स्की ने कोशिश की कि चीखे नहीं, इसलिए उसके गले से सीटी जैसी आवाज़ निकली जिसने उसे और भयानक बना दिया, “अगर तुमने अपने हाथो ने उसे खरीदकर मुझे भेजा? आँ? ये तो, शैतान जाने,” मिश्लायेव्स्की सबकी तरफ़ मुड़ा, “ये तो...वह सुकून ढूँढता है. आँ? और बिना एक के बैठा है – क्या ये सुकून है? ये तो सोच-समझ कर खेला जाने वाला गेम है! दिमाग़ तो चलाना ही पड़ता है, ये कोई कविता थोड़े ही है!”

“रुको. हो सकता है, करास...”

“क्या हो सकता है? कुछ भी नहीं हो सकता, सिवाय बेवकूफ़ी के. आप मुझे माफ़ करो, बाप, हो सकता है, झितोमिर में ऐसे ही खेलते हों, मगर ये तो शैतान जाने क्या है!....आप नाराज़ मत होइए...मगर पूश्किन या लमानोसव हाँलाकि कवितायेँ लिखते थे, मगर वे ऐसा कभी न करते...या नाद्सन, मिसाल के लिए.”

“धीरे, तू. अरे, क्यों बरस रहा है? हरेक के साथ होता है.”

“मुझे तो मालूम ही था,” लरिओसिक बुदबुदाया...”मैं बदनसीब हूँ...”

“श्श, स्टॉप....”

और फ़ौरन निपट खामोशी छा गई. दूर, कई दरवाजों के पीछे से किचन में घंटी बजने लगी. सब चुप हो गए. एडियों की खटखट सुनाई दी, दरवाज़े खुले, अन्यूता प्रकट हुई. प्रवेश कक्ष में एलेना के सिर की झलक दिखाई दी. मिश्लायेव्स्की ने मेज़ के कपड़े पर ऊँगलियाँ बजाईं और बोला:

“शायद काफ़ी जल्दी आ गए हैं? आँ?

“हाँ, जल्दी आ गए,” निकोल्का ने जवाब दिया, जो अपने आप को तलाशी के मामलों का विशेषज्ञ समझता था.   

“क्या दरवाज़ा खोलने के लिए जाऊँ?” अन्यूता ने परेशानी से पूछा.

“नहीं, आन्ना तिमफ़ेयेव्ना,” मिश्लायेव्स्की ने जवाब दिया, “थोड़ा रुको,” वह, बुड़बुड़ाते हुए, कुर्सी से उठा, “ वैसे, अब मैं खोलूंगा, आप तकलीफ़ न करें...”             

“साथ में जायेंगे,” करास ने कहा.

“तो,” मिश्लायेव्स्की ने कहना शुरू किया और फ़ौरन इस तरह देखा, मानो अपनी प्लेटून के सामने खड़ा हो. “तो – शायद, वहाँ सब कुछ ठीक है... डॉक्टर को टायफ़ाइड हुआ है वगैरह. तुम, ल्येना, - बहन हो...करास, तुम मेडिकल स्टूडेंट लगोगे...बेडरूम में खिसक जाओ...वहाँ कोई सिरींज ले लेना...हम लोग काफी सारे हैं. मगर, कोई बात नहीं...”

घंटी बेसब्री से दुबारा बजी, अन्यूता थरथरा गई और सभी लोग और ज़्यादा संजीदा हो गए.

“कोई जल्दी नहीं है,” मिश्लायेव्स्की ने कहा और पतलून की पीछे वाली जेब से छोटी सी काली रिवॉल्वर निकाली, जो खिलौने की पिस्तौल जैसी लग रही थी.

“ये तो खतरनाक है,” शिर्वीन्स्की ने कहा, उसका चेहरा काला पड़ गया था, “मुझे तो तुम पर आश्चर्य होता है. तुम्हें तो ज़्यादा सावधान रहना चाहिए था. तुम रास्ते पर चलकर आये कैसे?

“परेशान न हो,” गंभीरता और नम्रता से मिश्लायेव्स्की ने जवाब दिया, “सब ठीक कर लेंगे. पकड़, निकोल्का, और चोर दरवाज़े या खिड़की के पास चले जाओ. अगर पित्ल्यूरा के फ़रिश्ते हुए, तो मैं खाँसूंगा, इसे फेंक देना, इस तरह कि बाद में मिल जाए. महंगी चीज़ है, वारसा तक मेरे साथ जा चुकी है...सब ठीक है?

“इत्मीनान रखो,” हाथ में रिवॉल्वर लेते हुए विशेषज्ञ निकोल्का ने संजीदगी और स्वाभिमान से जवाब दिया.

“तो,” मिश्लायेव्स्की ने शिर्वीन्स्की  के सीने में उंगली गड़ाई और कहा:

“गायक, मिलने आये हो,” करास के, “मेडिकल स्टूडेंट,” निकोल्का के, “भाई,” लरिओसिक के – “पेईंग गेस्ट – स्टूडेंट. आइडेंटिटी-कार्ड है?”

“मेरे पास त्सार वाला पासपोर्ट है,” पीला पड़ते हुए लरिओसिक  ने कहा, “और स्टूडेंट-कार्ड खार्कव यूनिवर्सिटी का.”

“त्सार वाला छुपा दे, और स्टूडेंट-कार्ड दिखा देना.

लरिओसिक  ने परदा पकड़ लिया, और फिर भाग गया.

“बाकी के,” छोटे-मोटे, महिलाएं...” मिश्लायेव्स्की कहता रहा. “तो, आइडेंटिटी-कार्ड सबके पास है? जेब में कोई फ़ालतू चीज़ तो नहीं है?...ऐ, लरिओन !...उससे पूछो, कि उसके पास कोई हथियार तो नहीं है?

“ऐ, लरिओन !” डाइनिंग रूम में निकोल्का ने आवाज़ दी, “हथियार?

“नहीं है, नहीं है, ख़ुदा बचाए,” कहीं से लरिओसिक  ने जवाब दिया.  

घंटी फिर से बजी – बेतहाशा, लम्बी, बेसब्री से.

“तो, खुदा खैर करे,” मिश्लायेव्स्की ने कहा और आगे बढ़ा. करास तुर्बीन के शयनकक्ष में ग़ायब हो गया.

“पेशन्स खेल रहे थे,” शिर्वीन्स्की ने कहा और मोमबत्तियां बुझा दीं.

तुर्बीनों के क्वार्टर को तीन दरवाज़े जाते थे. पहला – प्रवेशकक्ष से सीढ़ी को, दूसरा – कांच का, जो तुर्बीनों के घर को अलग करता था. कांच वाले दरवाज़े के नीचे अन्धेरा ठंडा दर्शनीय प्रवेश द्वार, जिसमें बगल से लिसोविच का दरवाज़ा खुलता था; और कॉरीडोर के रास्ते पर खुलता हुआ अंतिम द्वार बंद करता था.

दरवाज़े भड़भड़ाये, और नीचे मिश्लायेव्स्की चिल्लाया:

“कौन है?

ऊपर, अपने पीछे, सीढ़ियों पर कुछ साये महसूस हुए.

दरवाज़े के पीछे दबी-दबी आवाज़ विनती कर रही थी:

“घंटी बजा रहे हो, बजा रहे हो...क्या ताल्बेर्ग-तुर्बीना हैं?... उनके लिए टेलीग्राम है...खोलिए...”

“च्”, मिश्लायेव्स्की के दिमाग में बिजली कौंध गई और वह बीमारों जैसा खांसा. पीछे सीढ़ी पर एक साया ग़ायब हो गया. मिश्लायेव्स्की ने सावधानी से बोल्ट खोला, चाभी घुमाई और दरवाज़ा खोला, उसे कुंडी पर ही रखे हुए.

“टेलीग्राम दीजिये,” उसने दरवाज़े के पास तिरछे खड़े होकर कहा, ताकि दरवाज़ा उसे छुपा ले. भूरी आस्तीन में एक हाथ भीतर घुसा और उसे छोटा सा लिफ़ाफ़ा थमा दिया. विस्मित मिश्लायेव्स्की ने देखा कि ये सचमुच में टेलीग्राम ही था.

“हस्ताक्षर कीजिये,” दरवाज़े के पीछे आवाज़ ने गुस्से से कहा.

मिश्लायेव्स्की ने नज़र घुमाई और देखा कि दरवाज़े के पीछे सिर्फ एक ही आदमी है.

“अन्यूता, अन्यूता,” ब्रोंकाइटीस से उबरने के बाद, मिश्लायेव्स्की खुशी से चिल्लाया.

“पेन्सिल दो.”

अन्यूता के बदले उसके पास करास भाग कर आया, पेन्सिल थमा दी. लिफ़ाफ़े से एक टुकड़ा फाड़कर मिश्लायेव्स्की ने घसीटा : “टूर”, फुसफुसाकर करास से बोला:

“मुझे पच्चीस दो...”

दरवाज़ा भड़भड़ाया...बंद हो गया...

विस्मित मिश्लायेव्स्की करास के साथ ऊपर आया. सभी लोग आ गए. एलेना ने लिफ़ाफ़ा खोला और यंत्रवत पढ़ने लगी:

“लरिओसिक को भयानक दुर्भाग्य ने दबोच लिया है. ऑपेरा एक्टर लीप्स्की...’

“माय गॉड,” लाल हो गया लरिओसिक चीखा, “ये वही है!”

“त्रेसठ शब्द,” निकोल्का ने उत्तेजना से कहा, “देखो, चारों तरफ़ लिखा हुआ है.”

“खुदा!” एलेना चहकी. “ये क्या है? आह, माफ़ करना लरिओन...कि मैंने पढ़ना शुरू कर दिया. मैं इसके बारे में पूरी तरह भूल गई थी...”

“ये क्या माजरा है?” मिश्लायेव्स्की ने पूछा.      

“बीबी ने उसे छोड़ा दिया है,” निकोल्का उसके कानों में फुसफुसाया, “ऐसा काण्ड...”

कांच वाले दरवाज़े पर हो रही भयानक गरज, जैसे चट्टान गिर रही हो, क्वार्टर में घुस आई. अन्यूता जोर से चीखी. एलेना का चेहरा पीली पड़ गया और वह दीवार की ओर झुकने लगी. गरज इतनी भयानक, खतरनाक, बेतुकी थी, कि मिश्लायेव्स्की का चेहरा भी बदल गया. शिर्वीन्स्की ने एलेना को सहारा दिया, उसके चहरे का रंग भी उड़ गया था...तुर्बीन के शयनकक्ष से कराहने की आवाज़ आई.

“दरवाज़े...” एलेना चीखी.

अपनी रणनीतिक योजना को भूलकर मिश्लायेव्स्की सीढ़ियों से नीचे दौड़ा, उसके पीछे भागे करास, शिर्वीन्स्की और अत्यंत भयभीत लरिओसिक.

“ये तो और भी बदतर है,” मिश्लायेव्स्की बड़बड़ाया.

कांच के दरवाज़े के पीछे एक अकेली आकृति उभरी, गड़गड़ाहट रुक गई.

“कौन है वहाँ?” मिश्लायेव्स्की गरजा मानो वर्कशॉप में हो.

“खुदा के लिए...खुदा के लिए...खोलिए, लीसविच – मैं...लीसविच!!” आकृति चिल्लाई. “लीसविच हूँ – मैं...लीसविच...”

वसिलीसा भयानक हालत में था...प्रकाशित गुलाबी गंजे सिर के बाल तिरछे खड़े हो गए थे. टाई एक किनारे को लटक रही थी और जैकेट के पल्ले टूटी हुई अलमारी के दरवाजों की तरह झूल रहे थे. वसिलीसा की आंखें बदहवास और धुंधली थीं, जैसे किसी विषबाधित आदमी की हों. वह अंतिम सीढ़ी पर दिखाई दिया, अचानक हिला और मिश्लायेव्स्की के हाथों में ढह गया. मिश्लायेव्स्की ने उसे थाम लिया, खुद सीढ़ी पर बैठ गया और भर्राई आवाज़ में बदहवासी से चिल्लाया:

“करास! पानी...”

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