Tuesday, 20 September 2022

मोर्फीन - ४

 

 

अध्याय ४.

 चौदह फ़रवरी १९१८ की सुबह, दूर दराज़ के छोटे से शहर में मैंने सिर्गेइ पलिकोव के ये नोट्स पढ़े. और यहाँ वे संपूर्ण हैं, बिना किसी परिवर्तन के. मैं मनोचिकित्सक तो नहीं हूँ, विश्वासपूर्वक नहीं कह सकता कि वे शिक्षाप्रद हैं या नहीं, आवश्यक हैं या नहीं? मेरे ख़याल से, आवश्यक हैं.

अब, जब दस साल बीत गए हैं, तो दया और भय, जो इन नोट्स के कारण उत्पन्न हुआ था, बेशक, ख़त्म हो गया है. ये स्वाभाविक है, मगर, इन नोट्स को अब दुबारा पढ़ने के बाद, जब पलिकोव का जिस्म कब का नष्ट हो चुका है, और उसकी याद पूरी तरह से लुप्त हो चुकी है, मेरी उनमें दिलचस्पी अभी तक बरकरार है. हो सकता है, वे आवश्यक हों? मैं इसके पक्ष में निर्णय लेने की स्वतंत्रता लेता हूँ. आन्ना के. की १९२२ में टाइफस से मृत्यु हो गई और वहीं, जहाँ वह काम करती थी. अम्नेरिस – पलिकोव की पहली पत्नी – विदेश में है. और वह वापस नहीं आयेगी.

क्या मैं इन नोट्स को प्रकाशित कर सकता हूँ, जो मुझे भेंट की गई हैं?

कर सकता हूँ. टाइप कर रहा हूँ. डॉक्टर बोमगर्द.

 

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