८. मृत द्वीप
सभी जहाज़ों
को सख्त आदेश मिला – द्वीप के नज़दीक न जाएँ, जिसे क्वारंटाइन क्षेत्र घोषित किया गया था. कैप्टन
सख्ती से इस निषेध का पालन करते थे. दूर से, रात को कभी-कभी द्वीप से टिमटिमाती
रोशनी दिखाई देती, और दिन में हवा के तेज़ झोंके कभी-कभी काला धुआँ और निरंतर बदबू
लाते. लाशों की सडान नीली लहरों पर तैरती रहती.
“हाँ, द्वीप
ख़त्म हो चुका है,” कभी धरती के इस प्यारे टुकडे के लुभावने हरे किनारों
की ओर दूरबीन से, देखते हुए नाविक
आपस में कहते.
द्वीप की परिस्थिति
के बारे में खबरें मूरों तक भी पहुँची. लार्ड के टुकड़ों पर पल रहे, कमजोर परछाइयां बन चुके, वे पत्थर तोड़ने के काम पर चलते
हुए नहीं, बल्कि
घिसटते हुए जाते थे. मगर अब लाल द्वीप की त्रासदी की हर नई खबर उनमें एक दुष्ट
शक्ति का संचार कर रही थी.
“ उन कमीनों
के साथ ऐसा ही होना चाहिए! खुदा करे कि वे, इथोपियन जानवर, एक-एक करके सब मर जाएँ! और जब वे ख़त्म हो जायेंगे, तब हम फिर से वापस लौट
जायेंगे और अपने द्वीप पर अधिकार कर लेंगे. और जैसे ही इस चालाक कोकू-कोकी को
पकड़ेंगे, अपने हाथों
से उसकी एक-एक आंत बाहर निकाल देंगे....”
लार्ड ग्लिनर्वान
बेरहमी से अपनी खामोशी बनाए रखता.
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