Wednesday, 27 July 2022

लाल द्वीप - ४

 

४ जीनियस कोकू-कोकी

तबाही के बाद सुरक्षित बचे द्वीपवासियों की फ़ौरन जमा हुई भीड़ ऐसे खडी थी मानो उन पर बिजली गिरी हो, सभी स्तब्ध थे. मगर अगले ही पल इथोपियनों के और कुछ जीवित बचे मूरों के दिमाग में एक स्वाभाविक प्रश्न उठा:

“अब आगे क्या? कैसे होगा?

सवाल ने हंगामा खडा कर दिया. आवाजों का शोर, जो पहले अस्पष्ट और मुश्किल से सुनाई दे रहा था, धीरे धीरे बढ़ने लगा, कहीं-कहीं तो हाथापाई तक की नौबत आ गई. पता नहीं इस सबका हश्र क्या होता, अगर एक और आश्चर्यजनक घटना न हुई होती.

कहीं कहीं सफ़ेद और रंगीन छटा लिए अफीम के लाल-लाल खेत जैसी उत्तेजित भीड़ के ऊपर अचानक प्रकट हुआ चंचल आंखों वाला शराबी चेहरा, और फिर समूचे द्वीप पर प्रसिद्ध अट्टल शराबी और निठल्ले कोकू-कोकी की निर्बल आकृति प्रकट हुई.   

इथोपियन्स पर मानो दुबारा वज्राघात हुआ. इसका कारण था, सबसे पहले, कोकू-कोकी का असाधारण अवतार. छोटे से लेकर बड़े तक, सभी को उसे खाडी में हाथ-पाँव धोते देखने की आदत थी, जहाँ किनारे पर यह दिलचस्प अग्निजल उतारा जाता था, या सिसी-बुसी की विग्वाम के पास, जहाँ यह स्वादिष्ट पेय पिया जाता था. और सबको अच्छी तरह मालूम था कि कोकू-कोकी पक्का रंगीन मूर है – ऊंचे दर्जे का. मगर अब वह आश्चर्य चकित द्वीप वासियों के सामने पक्के लाल रंग में पुता हुआ प्रकट हुआ, सिर से पैर तक इथोपियन युद्ध के पैटर्न वाली पोषाक से ढंका हुआ. अत्यंत अनुभवी नज़र भी इस धूर्त बदमाश और किसी भी साधारण इथोपियन में फर्क नहीं कर सकती थी.

कोकू-कोकी बैरल पर पहले दायें, फिर बाएँ झूमा, अपना चौड़ा जबड़ा खोला और घनघोर आवाज़ में अजीब से शब्द कहे, जिन्हें “न्यू यॉर्क टाईम्स” के सम्मोहित संवाददाता ने फ़ौरन अपनी नोटबुक में दर्ज कर लिया:     

“आज से हम आज़ाद इथोपियन्स हैं, सबको धन्यवाद देता हूँ!”  

इथोपियन्स की भीड़ में कोई भी समझ नहीं पाया कि क्यों और किसलिए खासकर ये कोकू-कोकी उन्हें धन्यवाद दे रहा है. मगर फिर भी आदमियों के विशाल समूह ने उसे आश्चर्यजनक गरज से जवाब दिया: “हुर्रे!”

ये “हुर्रे!” कई मिनटों तक द्वीप के ऊपर गरजता रहा जब तक कि कोकू-कोकी की नई घोषणा ने उसे बीच ही में रोक न दिया:

“और अब, भाईयों, चलो शपथ लो!” 

जोश में आये हुए इथोपियन्स आपस में बहस करने लगे:

“आखिर किसके प्रति शपथ लेनी है?”   

“मेरे प्रति!”

इस बार मूर आश्चर्य से बुत बन गए, मगर उनकी उलझन कुछ ही देर रही. सबसे पहले जड़ता से बाहर आया भूतपूर्व प्रमुख कमांडर रिकी-टिकी-तवी.

“हाँ, बदमाश, सही है!” वह चहका. “यही तो है वो, जिसकी हमें अभी ज़रुरत है. लफंगे ने एकदम सही निशाना लगाया है! – और उसने सबसे पहले जनता के नेता के सम्मुख नीचे झुककर मिसाल पेश की.

मूरों ने कोकू-कोकी को बाहों में पकड़कर भीड़ के ऊपर उठाया.

रात भर आसमान में चमक बिखेरते हुए पूरे द्वीप पर आतिशबाजी होती रही, अलाव जलते रहे. स्थापित आज़ादी का जश्न मनाते हुए उल्लसित इथोपियन्स अलावों के चारों ओर नाचते रहे. खुशी के मारे और अग्निजल के कारण, जिसे उदार कोकू-कोकी ने बिना भेदभाव के सबको देने का आदेश दिया था,  वे पूरी तरह नशे में धुत हो गए. 

नज़दीक से गुज़रते हुए जहाज़ों के रेडिओ ऑपरेटर्स उत्सुकता से वायुमंडल में सिग्नल ढूंढ रहे थे, द्वीप से किसी खबर को पकड़ने की पूरी कोशिश कर रहे थे. वक्त-ज़रुरत द्वीप पर गोली-बारी करने के लिए जहाज़ पूरी तरह तैयार थे, मगर, आखिरकार “न्यू यॉर्क टाइम्स” के विशेष संवाददाता द्वारा भेजे गए टेलीग्राम की वजह से पूरी सभ्य दुनिया ने चैन की सांस ली.

“बहुत बड़ा त्यौहार. विराम. द्वीप पर बेवकूफ देसी त्यौहार बायराम मना रहे हैं. विराम. बदमाश जीनियस निकला. विराम.”  

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