Saturday, 21 January 2023

शैतानियत - ०९

 

 

9.  मशीन का खौफ

 

शरद ऋतु के उस दिन ने कॉमरेड करत्कोव का स्वागत अस्पष्ट और अजीब तरीके से किया.

डरते-डरते सीढी पर चारों तरफ देखते हुए वह आठवीं मंजिल पर पहुँचा, यूँ ही दाईं ओर मुड गया और खुशी से थरथरा गया. चित्र में बना हुआ हाथ उसे इबारत दिखा रहा था, “कमरे  नं. 302 – 349”.  उस रक्षक हाथ की उंगली के अनुसार वह 302 के दरवाज़े तक पहुँचा, जिसके ऊपर लिखा हुआ था:

302 - क्लेम्स ब्यूरो.”  

सावधानी से उसके भीतर झांककर, ताकि अनचाहे आदमी से न टकरा जाए, करत्कोव भीतर गया और उसने खुद को टाइपराइटर मशीनों के पीछे बैठी सात औरतों के सामने पाया. कुछ हिचकिचाते हुए वह बिलकुल किनारे पर बैठी – सांवली और सुस्त औरत के पास गया, झुका और वह कुछ कहना चाहता था, मगर सांवली ने अचानक उसकी बात काट दी. सभी औरतों की नज़रें करत्कोव की ओर मुड़ गईं.

“कॉरीडोर में जाएंगे”, साँवली ने तेजी से कहा और ऐंठते हुए अपने बाल ठीक किये.

“माय, गॉड, फिर से, फिर से कुछ-तो...” पीड़ा से करत्कोव के दिमाग में कौंध गया.  गहरी सांस लेकर उसने आज्ञा का पालन किया. बची हुई छह औरतें परेशानी से पीछे से फुसफुसाने लगीं.

सांवली करत्कोव को बाहर ले गई और खाली कॉरीडोर के आधे-अँधेरे में बोली:

“आप खतरनाक हैं...आपकी वजह से मैं पूरी रात सो नहीं पाई और मैंने फैसला कर लिया. आपकी जो मर्जी हो, वैसा ही होगा...मैं अपने आप को तुम्हें सौंप दूंगी.”

करत्कोव ने बड़ी-बड़ी आंखों वाले सांवले चेहरे की ओर देखा, जिससे ‘घाटी की लिली’ की खुशबू आ रही थी, गले से कोई आवाज़ निकाली और कुछ भी नहीं कहा. सांवली से अपना सिर झटके से पीछे किया, तड़प से दांत दिखाए, करत्कोव के हाथ पकडे, उसे अपनी ओर खींचा और फुसफुसाई :

“तुम खामोश क्यों हो, जादूगर? तुमने अपनी बहादुरी से मुझे जीत लिया, मेरे नाग. मुझे चूमो, जल्दी से चूमो, जब तक कि कंट्रोल कमिटी से कोई नहीं आया है.”

फिर से एक अजीब आवाज़ करत्कोव के मुंह से निकली. वह लड़खड़ा गया, उसने अपने होठों पर किसी मीठी और नरम चीज़ का अनुभव किया, और विशाल पुतलियाँ  बिलकुल करत्कोव की आंखों के पास आईं.

“मैं अपना सब कुछ तुम्हें  सौंप दूंगी...” करत्कोव के ठीक कान में फुसफुसाहट हुई...

“मुझे नहीं चाहिए,” उसने भर्राहट से जवाब दिया, “मेरे सारे डॉक्यूमेंट्स चोरी हो गए हैं.”

“चुक्-चुक्,” अचानक पीछे से आवाज आई.

करत्कोव मुड़ा और उसने चमकदार बूढ़े को देखा.

 “आ-आह!” सांवली चीखी और हाथों से मुँह ढांपकर दरवाज़े में भाग गई.

 “ही-ही,” बूढ़े ने कहा, “बढ़िया. जहाँ भी जाऊँ, आप महाशय कलब्कोव मिल जाते हो. बड़े सूरमा हो. उसमें क्या है, चूमो या न चूमो, बिज़नेस ट्रिप तो मिलने से रही. मुझ बूढ़े को मिल गई है, मुझे ही जाना है. ये है बात.”

इतना कहकर उसने करत्कोव को सूखा सा अंगूठा दिखा दिया.

“मगर आपके खिलाफ कम्प्लेंट तो मैं दूँगा,” चमकदार बूढ़े ने आगे कहा, “हाँ-आ, मुख्य विभाग में तीन को बर्बाद कर दिया, अब, लगता है, उप विभागों तक पहुँच गए? और क्या, आपको इससे कोइ फर्क नहीं पड़ता कि वे नन्हें फ़रिश्ते अब रो रहे हैं?

अब वे दुखी रहती हैं, बेचारी लडकियां, हाँ-ऑ, बहुत देर हो गई. लड़की की इज्ज़त वापस नहीं लौटा सकते. नहीं लौटा सकते.”

बूढ़े ने नारंगी फूलों वाला एक बड़ा रुमाल निकाला, रोने लगा और नाक छिनकने लगा.

“बूढ़े के हाथ से सफ़र के पैसे भी छीनना चाहते हो; महाशय कलब्कोव? ठीक है...” बूढा थरथराया और हिचकियाँ लेने लगा, उसने ब्रीफकेस गिरा दी.

“ले लीजिए. मर जाने दो भूख से बेपार्टी के, सहानुभूति रखने वाले बूढ़े को... मर जाने दो...उस बुड्ढे कुत्ते के साथ ऐसा ही होना चाहिए. ठीक है, सिर्फ इतना याद रखिये महाशय कलब्कोव,” बूढ़े की आवाज़ मानो भविष्यवाणी जैसी भयानक हो गई और उसमें घंटियों की आवाज़ आने लगी, “किसी काम नहीं आयेंगे आपके, ये शैतानी पैसे. आपके गले में कील की तरह चुभते रहेंगे,” और बूढा भयानक हिचकियां ले लेकर फूट-फूट कर रोने लगा.                  ,          
करत्कोव को उन्माद का दौरा पड़ गया. अचानक और स्वयँ के लिए भी अप्रत्याशित उसने जोर जोर से पैर पटके.

“शैतान ले जाए!” वह पतली आवाज़ में चीखा, और उसकी बीमार आवाज़ चारों और गूंजने लगी. “ मैं कलब्कोव नहीं हूँ. मुझसे दूर हट! कलब्कोव नहीं हूँ. नहीं जाऊंगा! नहीं जाऊंगा!”

वह अपनी कॉलर फाड़ने लगा. बूढा फ़ौरन सूख गया, डर से कांपने लगा.

“नेक्स्ट!” दरवाज़ा चरमराया. करत्कोव चुप हो गया, और उसकी तरफ लपका, बाएँ मुड़ कर, टाइपिस्ट लड़कियों को पीछे छोड़कर आगे गया और उसने अपने आप को एक लम्बे, ख़ूबसूरत, नीले सूट वाले गोरे नौजवान के सामने पाया. नौजवान ने करत्कोव को देखकर सिर हिलाया और बोला:

“संक्षेप में, कॉमरेड़. फ़ौरन. दो लब्जों में. पल्तावा या इर्कूत्स्क?

 “डॉक्युमेंट्स चोरी हो गए,” जंगलीपन से चारों तरफ देखते हुए पीड़ित करत्कोव ने कहा, “ - और बिल्ली प्रकट हो गई. उसे कोई हक़ नहीं है. मैंने ज़िंदगी में कभी भी हाथापाई नहीं की, ये दियासलाइयों के कारण हुआ था. मेरा पीछा करने का कोई हक़ नहीं है. मैं ये नहीं देखूंगा कि वह कल्सोनेर है. चोरी हो गए हैं मेरे डॉक...”

“अरे, ये बकवास है...” नीले सूट वाले ने जवाब दिया, “वर्दी देंगे, और कमीजें, और चादरें. अगर इर्कूत्स्क जाना है, तो भेड की खाल का सेकण्डहैण्ड कोट भी देंगे. संक्षेप में.” 

उसने खनकाते हुए ताले में चाभी घुमाई, एक दराज़ निकाली और उसमें झांककर प्यार से कहा:

“प्लीज़, सिर्गेइ निकलायेविच.” 

और फ़ौरन ऐश वृक्ष की दराज़ से एक कंघी किये हुए, पटसन जैसे चमकदार सिर और चंचल नीली आंखों ने बाहर झांका. उनके बाद उछली सांप की तरह मुडी हुई गर्दन, कलफदार कॉलार करकराई, कोट प्रकट हुआ, हाथ, पतलून और एक सेकंड बाद पूरा मुकम्मल सेक्रेटरी, “गुड मॉर्निंग” किकियाते हुए, बाहर लाल कपड़े पर रेंग गया. उसने नहाए हुए कुत्ते की तरह खुद को झटका, उछला, कलाई-बंद को और भीतर घुसेडा, जेब से एक अच्छा-सा पेन निकाला और फ़ौरन कुछ लिख दिया.

करत्कोव लड़खड़ा गया, उसने हाथ फैलाया और रोनी आवाज़ में नीले सूट वाले से बोला:

“देखिये, देखिये, वह मेज़ से बाहर आया. ये सब क्या है?...”

“वाकई में बाहर आया,” नीले ने जवाब दिया, “आखिर वह पूरे दिन तो पड़ा नहीं रह सकता. समय हो गया. समय. समय-पालन.”

“मगर कैसे? कैसे?” करत्कोव खनखनाया.

“आह, तुम. खुदा,” नीला परेशान होने लगा, “देर मत करो, कॉमरेड.”

दरवाज़े से सांवली का सिर बाहर निकला और प्रसन्नता तथा उत्तेजना से चीखा:

“मैंने उसके डॉक्यूमेंट्स पल्तावा भेज दिए हैं. और मैं भी उसके साथ जा रही हूँ. मेरी आंटी रहती हैं पल्तावा में, 430 अक्षांश और  50 देशांश के तहत.”

“ओह, बढ़िया,” गोरे ने जवाब दिया,” वरना तो मुझे इस झक-झक ने बेज़ार कर दिया है.”

“मैं नहीं चाहता!” अपनी आंखें गोल-गोल घुमाते हुए करत्कोव चीखा. “वह अपने आप को मुझे सौंप देगी, और मैं ये बर्दाश्त नहीं कर सकता. नहीं चाहता! डॉक्यूमेंट्स वापस दे दीजिये. मेरा पवित्र कुलनाम. लौटा दीजिये!”

कॉमरेड, ये मैरिज सेक्शन में है,” सेक्रेटरी चीखा, “हम कुछ नहीं कर सकते.”

“ओह, बेवकूफ!” फिर से बाहर झांकते हुए सांवली चहकी. मान जा! मान जा!” वह प्रॉम्प्टर जैसी फुसफुसाई. उसका सिर कभी छुप जाता, तो कभी प्रकट हो जाता.

“कॉमरेड!” चेहरे पर आंसू मलते हुए करत्कोव सिसकने लगा. ““कॉमरेड! विनती करता हूँ, डॉक्यूमेंट्स दो. दोस्त बनो. प्लीज़, दिल का एक-एक तार विनती करता है, और मैं मोनेस्ट्री में चला जाऊंगा.”

“कॉमरेड! बिना उन्माद के. साफ़-साफ़ और गोल-मोल, लिखित और मौखिक रूप में, फ़ौरन और गुप्तता से लिखिए – पल्तावा या इर्कुत्स्क? मसरूफ इंसान का समय बर्बाद मत कीजिये! कॉरीडोर्स में चक्कर न लगाएँ! थूकें नहीं! सिगरेट न पियें! पैसे का लेन-देन न करें!” अपना आपा खोते हुए गोरा गरजा.

“हाथ मिलाना रद्द कर दिया गया है!” सेक्रेटरी ने बांग दी.

“गले मिलना जिंदाबाद!” सांवली कामुकता से फुसफुसाई और, हवा के तेज़ झोंके के समान करत्कोव की गर्दन को लिली की खुशबू से सराबोर करते हुए कमरे में झपटी.

“तेरहवीं आज्ञा में कहा गया है, कि अपने पड़ोसी के घर बिना सूचित किये न घुसो,” चमकीला बूढा बुदबुदाया और हवा में उड़ने लगा सिंह-मछली के पंखों से फर्श को छूते हुए.... “ मैं नहीं घुस रहा हूँ, नहीं घुस रहा हूँ, - बल्कि कागज़ तो वैसे भी फेंकूंगा, ये ऐसे, धम्म !...किसी पर भी ‘साइन’ कर देना, - और आरोपियों की बेंच पर.” उसने चौड़ी काली आस्तीन से सफ़ेद कागजों का एक बण्डल निकाला, और वे इधर-और उधर बिखर कर मेजों पर ऐसे बैठ गए, जैसे किनारे की चट्टानों पर समुद्री चिड़िया बैठती है.

कमरे में धुंद घुस आई, और खिड़कियाँ झूलने लगीं.

“कॉमरेड गोरे!” पस्त करत्कोव रो रहा था, “मुझे यहीं पर गोली मार दो, मगर तुम मुझे कोई न कोई डॉक्यूमेंट दे दो. तुम्हारा हाथ चूमता हूँ.”

धुंध में गोरा फूलने लगा और बढ़ने लगा, बिना रुके तैश में बूढ़े के कागजों पर दस्तखत करने लगा और उन्हें सेक्रेटरी की ओर फेंकने लगा, जो खुशी से घुरघुराते हुए उन्हें पकड़ रहा था.

“शैतान ले जाए!” गोरा गरजा, “शैतान ले जाए. टाईपिस्टों, हैय!”

उसने अपना भारी-भरकम हाथ हिलाया, करत्कोव की आंखों के सामने दीवार गिर गई, और मेजों पर रखे तीस टाइपराइटर्स, घंटियाँ बजाते हुए, फॉक्सट्राट बजाने लगे.

नितम्बों को हिलाती, मस्ती में कन्धों को सिकोड़ती, मलाईदार टांगों से सफ़ेद फेन उडाती, तीस औरतें एक परेड जैसी चलकर मेजों के चारों ओर घूमने लगीं.

कागजों के सफ़ेद सांप टाइपराइटर्स के जबड़ों में रेंग गए, ऐंठने लगे, रंगीन होने लगे, सिलने लगे. बैंगनी धारियों वाली सफ़ेद पतलूनें रेंगते हुए बाहर निकलीं.

“इस पत्र का प्रस्तुतकर्ता वाकई में प्रस्तुतकर्ता है, न कि कोई आवारा-बदमाश”.

“पहन ले!” गोरा धुंध में गरजा.

“ई-ई-ई-ई,” पतली आवाज़ में करत्कोव रिरियाया और गोरे की मेज़ के कोने पर अपना सिर पटकने लगा. एक मिनट के लिए सिर हल्का हुआ, और आंसुओं में भीगा किसीका चेहरा करत्कोव के सामने तैर गया.

“वैलेरियन!” कोई छत पर चिल्लाया.

सिंह मछली ने, काले पंछी के समान, रोशनी को ढांक दिया, बूढा उत्तेजना से फुसफुसाया:

“अब सिर्फ एक ही सहारा है – पांचवे सेक्शन में दीर्किन के पास जाओ. भाग! भाग!”

ईथर की गंध फ़ैल गई, फिर किसी के हाथ करत्कोव को अस्पष्ट रूप से आधे अँधेरे कॉरीडोर में ले गए. सिंह-मछली ने करत्कोव को फुसफुसाते और खिलखिलाते हुए बांहों में लपेट लिया:

“मैंने उन्हें खुश कर दिया है: मेजों पर ऐसी चीज़ छिड़क दी, कि उनमें से हरेक को युद्ध के मैदान में हार के साथ कम से कम पाँच साल की मिलेगी. भाग! भाग!”

खाई में जाती हुई जाली से नमी और हवा से खिंचने के कारण सिंह-मछली एक तरफ को छिटक गई....

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