8. दूसरी रात
शाम के धुंधलके में कॉमरेड
करत्कोव ने फलालैन के बिस्तर पर बैठकर वाईन की तीन बोतलें पी लीं ताकि सब कुछ भूल
जाए और कुछ शांत हो जाए. अब उसका पूरा ही सिर दर्द कर रहा था:
दाईं और बाईं कनपटी, सिर का पिछला हिस्सा और पलकें भी.
पेट के नीचे से हल्की सी डकार आई और लहरों की तरह गडगड़ाने लगी, और कॉमरेड करत्कोव ने दो
बार तसले में उल्टी की.
“मैं
ऐसा करता हूँ,” सिर नीचे लटकाकर,
करत्कोव कमजोरी से फुसफुसाया, कल उससे न मिलने
की कोशिश करूंगा. मगर चूंकि वह हर तरफ घूमता रहता है, तो मैं इंतज़ार करूंगा. इंतज़ार करूंगा: नुक्कड़ पे या गली
में वह बगल से ही तो गुज़रेगा. और अगर वह मेरा पीछा करता है, तो मैं भाग जाऊंगा. वह पीछे रह जाएगा. जा, अपने रास्ते जा. और अब मैं ‘मासा' में नहीं जाना चाहता. खुदा सलामत रखे. करता रह मैनेजर की
और क्लर्क की नौकरी, और ट्राम का किराया भी
मुझे नहीं चाहिए. उनके बिना ही काम चला लूँगा. सिर्फ, प्लीज़, तुम मुझे चैन से
रहने दो. तू चाहे बिल्ली हो या बिल्ली न
हो. दाढी वाला हो या बिना दाढ़ी का, - तू - तू है, और मैं – मैं हूँ.
दूसरी नौकरी ढूंढ लूँगा, और खामोशी और सुकून से काम करता रहूँगा. न तो मैं
किसी को छेड़ूँगा , न ही कोई मुझे छेड़ेगा.
तुम्हारे बारे में कोई शिकायत भी नहीं करूंगा, सिर्फ अपने डॉक्यूमेंट्स ठीक-ठाक कर लूँगा, - और छुट्टी....”
दूर कहीं घुटी हुई आवाज़ में घड़ी के घंटे
बजने लगे. बाम...बाम...”ये पिस्त्रूखिनों के यहाँ है,”- करत्कोव ने सोचा और गिनने लगा. दस...ग्यारह...आधी रात, 13, 14, 15...40...
“चालीस बार बजे घंटे”, करत्कोव कड़वाहट से
मुस्कुराया, और बाद में फिर से
रोने लगा. फिर चर्च की वाईन के कारण कंपकंपाहट से और बुरी तरह उसका जी मिचलाने
लगा.
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