१२. अजेय बेड़ा
पत्थर की खदान के पास वाले मूरों के बैरेक्स में कुछ ऐसा हुआ, जो अवर्णनीय है. वे आत्मा को
झकझोरने वाली आवाजें निकाल रहे थे और वाकई में सिर के बल चल रहे थे.
इस दिन उन्हें बाल्टियां भर-भर के पहले दर्जे का सुनहरा-पीला शोरवा दिया गया, जिससे वह दूर ही नहीं हो रहे
थे. किसी के भी बदन पहले वाले गंदे चीथड़े नहीं दिखाई दे रहे थे, हरेक को छींट की लाल पतलून,
और युद्ध का लाल रंग दिया गया था. बैरेक्स के सामने रैपिडफायरिंग राईफल्स और मशीन
गन्स को पिरामिड की शक्ल में रखा गया था.
मगर रिकी-टिकी-तवी की शान तो देखते ही बनती थी. उसकी नाक में छल्ले चमक रहे
थे, सिर के बालों को रंग-बिरंगे परों
से सजाया गया था. चेहरा सर्कस के अरेना के लाल जोकर की तरह चमक रहा था. वह पागल की
तरह चारों और घूम रहा था, बिना थके एक ही बात दुहरा रहा था:
“बढ़िया, बढ़िया, बढ़िया! अब तुम मेरे साथ
नाचोगे, मेरे प्यारों! बस, थोड़ी देर, और हम आपके पास
होंगे. ऐह, बस, आपके पास पहुंच भर जाएँ!...”
उसने अपनी उँगलियों से ऐसी हलचल की, मानो किसी की आंख निकाल रहा हो.
“सावधान! विश्राम! हुर्रे!” वह लगातार चीखे जा रहा था और शोरवे से भारी हो
गए अपने ख़ूबसूरत जवानों की कतार के सामने आगे-पीछे घूम रहा था.
बंदरगाह में तीन बख्तरबंद जंगी जहाज़ भाप छोड़ते हुए खड़े थे, जिन्हें इन अप्रवासी
योद्धाओं की बटालियन्स को ले जाना था. इसी समय एक ऐसी अप्रत्याशित घटना हुई जिसने
सबका ध्यान आकर्षित कर लिया. जहाज़ों पर चढने के लिए तैयार बटालियन के सामने अचानक
न जाने कहाँ से एक छोटे-छोटे बालों वाली, फटेहाल, जर्जर आकृति प्रकट हुई. परेशान मूरों ने, इस विचित्र आकृति को गौर से एकटक
देखने के बाद पहचाना, कि ये कोई और नहीं, बल्कि बिना कोई सुराग छोड़े गायब हो गया कोकू-कोकी है. हाँ, ये वही था, खुद वो, जीता जागता! लाल द्वीप का
भूतपूर्व सर्वशक्तिमान तानाशाह, जिसे अपने देशवासियों की इतनी प्रशंसा प्राप्त हुई थी. द्वीप से भागने के
बाद, लगता है, वह चीथड़ों में लिपटा हुआ, गुप्त रूप से अन्य भगोड़ों की
भीड़ में छुप गया था. या पत्थरों की खदान के आसपास भटक रहा था. धरती की कीर्ति
कितनी क्षणभंगुर है!
और अब वह इतनी बेशर्मी से मूरों की बटालियन के सामने आकर चापलूसी भरी
मुस्कुराहट से गिडगिड़ा रहा था:
“ये क्या बात हुई, भाईयों, क्या आप मुझे बिलकुल भूल गए? मगर मैं तो वैसा ही मूर हूँ, जैसे आप हैं. मुझे भी अपने
साथ द्वीप पर ले चलो, अभी भी मैं आपके काम आऊँगा!...”
मगर
वह अपनी बात पूरी न कर पाया. रिकी-टिकी-तवी ने, पूरी तरह हरा होकर, झटके से कमर से चौड़ा, तेज़ चाकू निकाला
“महा महान,” परेशानी के कारण फ़ौजी कमांडर
योग्य विशेषण याद न कर पाया, “आप...अति स्वस्थ्य,” तैश से थरथराती आवाज़ में, आखिरकार, लार्ड ग्लिनर्वान से मुखातिब हुआ, “यह...हाँ , ये वही, यही तो
है वह कोकू-कोकी, जिसके कारण सारा शुरूम-बुरुम हुआ, ये वो...उनकी इथोपियन क्रान्ति पकाई गई! युअर ब्राईट एक्सेलेंसी, खुदा के लिए मुझे इजाज़त
दीजिये, मैं अपने हाथों से उसका
कुल्हाड़ी-सिर बनाता हूँ!”
“ये आपका अंदरूनी मामला है, हम उनमें दखल नहीं देते. वैसे, यदि आपको इससे खुशी मिलती है, तो प्लीज़, मैं इसके खिलाफ नहीं हूँ.”
लार्ड ने भलमनसाहत से, पितृवत स्नेह से जवाब दिया. “सिर्फ, जो करना है, जल्दी करो, जिससे जहाज़ों पर सवार होने
में देर न हो.”
“सफाई से करूंगा,” पकमांडर-इन-चीफ खुशी से चीखा, और कोकू-कोकी सिर्फ एक दबी सी चीख ही निकाल पाया था, कि रिकी-टिकी ने उत्कृष्ट
प्रहार से एक कान से दूसरे कान तक उसका गला चीर दिया.
इसके बाद लार्ड ग्लिनर्वान और मिशेल अर्दान ने समारोह पूर्वक पूरी बटालियन
का निरीक्षण किया और लार्ड ने बिदाई भाषण दिया:
“आगे बढ़ो, एथोपियन्स को कुचलने के लिए!
हम अपने जहाज़ की तोपों से सहायता करेंगे. अभियान पूरा होने के बाद सबको पुरस्कार
स्वरूप धनराशि दी जायेगी.”
फ़ौजी ऑर्केस्ट्रा गूँज उठा और उसकी गूँज के बीच सभी बहादुर फौजें जहाज़ों पर
सवार हो गईं.
No comments:
Post a Comment