११. कैप्टन हैटरस और रहस्यमय लॉन्गबोट
मई के एक ख़ूबसूरत दिन लाल द्वीप के सामने क्षितिज पर जहाज़ का धुआं प्रकट हुआ
और शीघ्र ही लंगरगाह पर एक युद्ध-पोत ने लंगर डाल दिया. लार्ड ग्लिनर्वान के आदेश
पर कैप्टेन हैटरस यहाँ अन्वेषण करने आया था. जहाज़ के ओने-कोने से नाविक
उत्सुकतापूर्ण नज़रों से किनारे की और देख रहे थे. उनकी नज़रों को यह नज़ारा दिखाई
दिया: शांत जल में, जाहिरा तौर पर नई बनाई गईं नौकाओं का बेड़ा झूम रहा था. इस
हल्के बेड़े के ऊपर कोई अनजान, न जाने कहाँ से आई एक लॉन्गबोट विद्यमान थी. साथ ही रेडियोग्राम का रहस्य
भी खुल गया. उष्णकटिबंधीय वन की पन्ने जैसी हरियाली से किसी आरंभिक रेडियो-रिसीवर
का एंटेना ऊपर निकला हुआ था.
“ एक हज़ार शैतान,” कैप्टेन चीखा, “इन बदमाशों ने यहाँ कोई
टेढी-मेढ़ी पवन चक्की लगा रखी है!”
नाविक ठहाके लगाने लगे और इथोपियन कलात्मकता की बेढंगी रचना पर बढ़-चढ़कर मज़ाक
करने लगे.
जहाज़ से एक नौका उतरी और कैप्टेन के साथ कुछ नाविकों को किनारे पर लाई.
पहली बात, जिसने बहादुर नाविकों का
ध्यान आकर्षित किया और उन पर गहरा प्रभाव डाला, वह ये थी कि हर जगह इथोपियन्स की भारी भीड़ दिखाई दे रही थी. द्वीप पर, लगता
था, उनका उफान आया है. ऊपर से न
सिर्फ बड़ी उम्र के लोगों के, बल्कि किशोरों के झुण्ड भी कैप्टन को घेर कर खड़े हो गए. किनारे पर तंदुरुस्त
इथोपियन बच्चों की कतारें हाथों में बन्सियाँ लिए, पानी में अपने मोटे-मोटे पैरों
को हिलाते हुए बैठी थीं.
“शैतान ले जाए,” आश्चर्य से कैप्टन के मुँह से निकला, “ऐसा लगता है कि हैजे से उनका बहुत फ़ायदा ही हुआ है! और ये छुटके तो ऐसे
लगते हैं जैसे उन्हें रोज़ हर्क्युलस वाला दलिया खिलाया जाता हो. चलो, आगे देखते हैं...
आगे तो उन्हें एक पुरानी लॉन्गबोट ने बेहद चौंका दिया, जो खाडी के तट पर खड़ी थी. एक
अनुभवी के लिए इस जहाज़ पर एक नज़र डालना ही काफी था, इस बात का यकीन करने के लिए कि लॉन्गबोट किसी यूरोपियन शिपयार्ड में बनी
है.
“मुझे ये अच्छा नहीं लगता,” हैटरस ने दबी जुबान में कहा, “अगर इन्होंने इस छेदवाले गलोश को कहीं से चुराया नहीं है, तो, मतलब, क्वारंटाइन के दौरान कोई
बदमाश गुप्त रूप से द्वीप पर आता रहा होगा, और उसने इन बंदरों से संपर्क स्थापित कर लिया. ओह, मुझे लगता है कि बोट कहीं और
की नहीं, बल्कि जर्मनी की है! और
इथोपियन्स की और मुड़कर उसने जोर से पूछा: “ऐ तुम, लाल चमड़ी वाले शैतानों! उस जहाज़ को तुमने कहाँ से चुराया है?”
इथोपियन्स ने अपने मोतियों जैसे सफ़ेद दांत दिखाते हुए धूर्त मुस्कुराहट से
जवाब दिया. मगर ज़ाहिर था कि वे इस विषय पर कोई बात नहीं करना चाहते थे.
“क्या, तुम लोग जवाब नहीं देना चाहते?” कैप्टन ने त्योरी चढ़ा ली.
“ठीक है, मैं अभी तुम्हारा मुँह
खुलवाता हूँ.”
इतना कहकर वह दृढ़ता से लॉन्गबोट की तरफ जाने लगा, मगर इथोपियन्स ने दृढ़तापूर्वक उसका और माविकों का रास्ता रोक दिया.
“रास्ते से दूर हटो!” अभ्यस्त गतिविधि से अपना हाथ पिछली जेब की ओर ले जाते
हुए, जिसमें एक भारी रिवोल्वर था, कैप्टन चिंघाड़ा.
मगर इथोपियन्स का दूर हटाने का कोई इरादा नहीं था. पल भर में कैप्टेन हैटरस और
उसके नाविकों को घनी भीड़ ने दबा दिया. कैप्टन की गर्दन लाल-लाल हो गई. और तभी उसे
भीड़ में उन मूरों में से एक दिखाई दिया जो किसी समय इतनी हिम्मत से पत्थर की खदान
से भाग गए थे.
“देखिये, पुराने दोस्त!” हैटरस चहका. “आहा, अब पता चला कि यहाँ भड़काने
वाले हैं. खैर, तू, गंदे इंसान, उधर आ!”
मगर गंदा इंसान अपनी जगह से हिला तक नहीं, बल्कि उसने जवाब दिया:
“नहीं आऊंगा!”
गुस्से से तमतमाए कैप्टन हैटरस ने गालियाँ देते हुए चारों और नज़र दौडाई और
उसकी बैंगनी, खून के धब्बों से भरी गर्दन
उष्णकटिबंधीय कुकुरमुत्तों की सफ़ेद हेल्मेट्स से बढ़िया विरोधाभास प्रस्तुत कर रही
थी. अब उसने कई इथियोपियन्स के हाथों में राईफल्स देखीं, जो जर्मन कार्बाईन्स से मिलती-जुलती
थीं, और एक मूर लार्ड ग्लिनर्वान के यहाँ से चुराई गई ऑटोमैटिक पिस्तौल से लैस था.
नाविकों के चहरे, जो आम तौर से इतने साहसी और तेजतर्रार हुआ करते हैं, अचानक पीले पड़ गए. कैप्टन ने
एक बदहवास नज़र काले-नीले आसमान पर डाली, और इसके बाद किनारे की और देखा, जहाँ दूर लहरों पर उसका जहाज़ हिचकोले खा रहा था. जहाज़ पर रह गए नाविक डेक
पर चहलकदमी कर रहे थे और ज़ाहिर है, उन्हें उस भयानक खतरे के बारे में कोई संदेह भी नहीं हुआ जो उनके कैप्टेन
के सामने था.
हैटरस ने महत्प्रयास से खुद को सम्भाला. उसकी गर्दन ने धीरे-धीरे अपना
स्वाभाविक रंग प्राप्त कर लिया – इस बार मिर्गी के दौरे का
खतरा टल गया था.
“मुझे अपने जहाज़ पर वापस जाने दो,” – असाधारण विनम्रता से भर्राई हुई आवाज़ में उसने विनती की.
इथोपियन्स हट गए, और कैप्टन हैटरस अपने नाविकों के साथ जहाज़ की और वापस जाने लगा. एक घंटे
बाद किनारे से उठाये जा रहे लंगर की जंजीरों की खडखडाहट सुनाई दी, और एक और घंटे बाद धूप से
नहाए समुन्दर के क्षितिज पर सिर्फ दूर जाते हुए धुएँ का छोटा-सा बादल दिखाई दे रहा
था.
इस घटना ने बहादुर कैप्टन को झकझोर दिया, वह पूरे रास्ते बिना रुके कड़वी शराब पीता रहा. यूरोपियन तट पर पहुँचने के
बाद उसने नशे में धुत आंखों से अपने युद्धपोत को उथले जल में खडा किया, जिसके लिए
गंभीर लार्ड ने उसे जहाज़ की कप्तानी के पद से हटा दिया और साधारण बंदूकचियों में
शामिल कर दिया.
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