Wednesday, 24 August 2022

लाल द्वीप - १४

 

१४. अंतिम ‘सॉरी

 

रात को लाल द्वीप के ऊपर का उष्णकटिबंधीय आकाश रंगबिरंगी त्यौहार की रोशनियों से जगमगा उठा, जैसा पहले कभी नहीं हुआ था. और पास से गुज़रते हुए जहाज़ों से अर्जेंट रेडियोग्राम्स उड रहे थे:

 

“द्वीप पर अभूतपूर्व पैमाने पर उत्सव विश्राम पूरे द्वीप पर नारियल से बनी शराब घूम रही है!”

इसके बाद पैरिस में ऐफिल टॉवर के रेडिओ एंटेना पर हरी बिजलियाँ कौंधने लगीं, जो उपकरणों में ऐसे     

ध्रुष्ठता भरे शब्दों में परिवर्तित हो गईं, जैसे पहले कभी सुने नहीं थे:

“ग्लिनर्वान और अर्दान को! हमारे महान एकीकरण का त्यौहार मनाते हुए, वहाँ से आपको ठेंगा भेज रहे हैं , कु...(अश्रव्य) कि हमने आप पर भरोसा किया...(अनुवाद न करने योग्य यमक)...संवारा गया...(अश्रव्य) सादर इथोपियान्स और मूर!.”

“बंद करो यंत्र को!” मिशेल अर्दान गरजा.

रेडियोवाणी बंद हो गई. हरी बिजलियाँ बुझ गईं, और आगे क्या हुआ – कोई नहीं जानता.

 

लाल द्वीप - १३

  

१३. अप्रत्याशित अंत

         

आखिर वह चिर प्रतीक्षित दिन आ पहुँचा, जब महासागर में लाल द्वीप एक अद्भुत् मोती के समान हमारे नाविकों की नज़रों के सामने प्रकट हुआ. जहाज़ों ने लंगर डाल दिए और हथियारों से पूरी तरह  लैस मूरों की टुकड़ियां किनारे पर उतारी जाने लगीं. युद्ध के जोश से लबालब भरा हुआ रिकी-टिकी-तवी सबसे पहले किनारे की रेत पर कूदा और उसने तलवार लहराते हुए कमान्ड दी:

“बाजों, मेरे पीछे! “

और लैण्डिंग बोटों से मूर उसके पीछे-पीछे किनारे पर बिखरने लगे. 

और इसके बाद ये हुआ:

पूरे द्वीप पर, बिन बुलाये मेहमानों से मिलने के लिए, मानो धरती के भीतर से योद्धा निकल आये हों. इथोपियन्स घनी पंक्तियों में दृढ़तापूर्वक आगे बढे. उनकी संख्या इतनी ज़्यादा थी कि गहरी हरी उष्णकटिबन्धीय बेलों से हरा हो गया किनारा पलक झपकते ही वाकई में लाल रंग में परिवर्तित हो गया, मानो अपने नाम को सही साबित कर रहा हो. आगंतुकों पर चारों और से भारी भीड़ टूट पडी और इस लाल महासागर के ऊपर संगीनों और भालों का घना जंगल लहराने लगा. और यह भयानक महासागर अव्यवस्थित नहीं था, उसे कडाई से संगठित किया गया था – उसमें यहाँ-वहाँ धब्बेदार टीलों जैसे – अलग अलग टुकड़ियों के दृढ निश्चयी कमांडर दिखाई दे रहे थे. उनके बीच आसानी से उन बदहवास भगोड़ों को पहचाना जा सकता था, जो कभी इतनी धृष्टता से लार्ड ग्लिनर्वान की पत्थर की खदानों से भाग निकले थे. मूर-कमांडर, अपने योद्धाओं के ही समान, युद्ध की लाल इथोपियन वेशभूषा में थे और खतरनाक तरीके से रिवॉल्वर लहरा रहे थे. उनके चेहरों के भावों और अन्य हावभावों से यह स्पष्ट था कि उनके पास खोने के लिए कुछ भी नहीं था. युद्ध के आह्वान: “आगे बढ़ो!” के अलावा वे कुछ भी जानना नहीं चाहते थे. जिसका जवाब इथोपियन्स इस तरह एकसुर में गरजते हुए दे रहे थे कि रगों में खून जम गया था : “आगे बढ़ो! मारो उन्हें, कुत्ते के पिल्लों को!”  

और जब प्रतिद्वंद्वी, आखिरकार, एक साथ आये, तो सबने देखा कि रिकी-टिकी-तवी के नेतृत्व वाली आप्रवासी सैन्य टुकड़ी चारों और से उफनते हुए लाल महासागर के बीच किसी कमजोर द्वीप से ज़्यादा कुछ नहीं थी.        

“शैतान के सींगों की कसम,” ध्वजारोहण-पुलिया पर लार्ड ग्लिनर्वान के साथ खड़े मिशेल अर्दान ने भयभीत होकर कहा, “इस तरह का नज़ारा मैंने पहले कभी नहीं देखा!”

“हाँ, वे पल भर में हमारे छोकरों को वापस समुन्दर में फेंक देंगे!” सर फिलेस फोग ने पुश्ती जोड़ी.

“हमारी फ़ौज को फ़ौरन तोपखाने की फायरिंग से सुरक्षा दो!” लार्ड ग्लिनर्वान ने आदेश दिया और फिर से दूरबीन के लैंस से चिपक गया.

कैप्टन हैटरस ने, जो आजकल प्रमुख युद्धपोत का बंदूकची था, फ़ौरन आदेश का पालन किया और चौदह इंची तोप, आग उगलते हुए भयानक रूप से गरजी. मगर चूंकि युद्धपोत का कैप्टन सुबह-सुबह ही ‘रम’ का पूरा फ्लास्क गटक गया था, इसलिए परिणाम वैसा नहीं हुआ, जैसी उम्मीद की जा रही थी. गोला पर्याप्त दूरी तक नहीं पहुँचा और इथोपियन्स की घनी कतारों पर गिरने के बदले बड़ी सफाई से दोनों प्रतिद्वंद्वियों की सीमा रेखा पर जा गिरा. ज़बरदस्त धमाके ने २५ इथोपियन्स और ४० मूरों की धज्जियां उड़ा दीं. दूसरा गोला और भी ज़्यादा प्रभावशाली रहा : एक ओर से ५० इथोपियन्स और दूसरी तरफ से लार्ड ग्लिनर्वान के १३० मूरों के परखचे उड़ गए.

तीसरा गोला उड़ा ही नहीं.

 लार्ड ग्लिनर्वान ने, जो दूरबीन से उसके मूरों को तोपखाने की सुरक्षा प्रदान कर रहे बहादुर कैप्टन के आश्चर्यजनक परिणामों का निरीक्षण कर रहा था, गालियों की ऐसी बौछार निकाली, जो ऑक्सफोर्ड की किसी भी डिक्शनरी में नहीं मिलेंगी. उसने अपनी दूरबीन डेक पर फेंक दी, भागकर हैटरस का गला पकड़ लिया और उसे तोप से दूर धकेल दिया.

“आप कर क्या रहे हैं, पियक्कड़ कमीने!”- लार्ड चिन्घाडा, “आप मूरों को ही निशाना बना रहे हैं, आपको शैतान उठा ले! मैंने अपने उद्देश्यों के लिए सात साल तक इस गिरोह को प्रशिक्षित किया, और आप सात मिनट में ही उसे पूरा ख़त्म कर देंगे!”

और बेचारे मूरों के बीच, जो कैप्टन हैटरस से दो लाजवाब पुरस्कार पा चुके थे, अभूतपूर्व भगदड़ मच गई. उनकी टुकड़ियां हिल गई थीं, हर जगह से कराहें और गालियाँ सुनाई दे रही थीं. शिकायती कराहें और गालियां मिलकर एक भयानक गरज में बदल गईं.

खुद रिकी-टिकी-तवी भी अपने आधीनस्थ योद्धाओं से ऊँची आवाज़ में गुर्रा रहा था, गरज रहा था. उसके चारों ओर हर चीज़ मानो किसी जंगली भंवर में उफन रही थी. मगर इस भंवर में अलग-थलग दिखाई दे रहा था घृणा से विकृत हुआ एक योद्धा का चेहरा. वह उछल कर बदहवास कमांडर के निकट आया और मुँह से फेन निकालते हुए ठीक उसके मुँह पर चिल्लाया:

“तो, हो गई कमान्डरगिरी? पहले तू हमें लालच दिखाकर लार्ड के पास ले गया और हम सबको उसकी खदानों में दे दिया. वहाँ सात साल हमें यातनाएँ दी गईं, हमारी कितनी हड्डियां बची हैं? और अब क्या? बचे-खुचे लोगों को भी कब्र में भेजना चाहता है? सामने इथोपियन्स, पीछे तोप के गोले! आ-आ-आह!”   

अपना चाकू लहराते हुए, उसने आत्मविश्वास के साथ दीवालिया नेता की बाईं और की पांचवी और छठी पसलियों के बीच घोंप दिया.

“मद...” कराहते हुए कमांडर के मुँह से निकला, और दूसरी दुनिया में ही उसने पूरा किया, “ ...द करो!”

इस दृश्य को देख रहे इथोपियन्स दोस्ताना अंदाज़ में चिल्लाए, “हुर्रे!”

“हम आत्मसमर्पण करते हैं! हुर्रे! भाईयों हम शान्ति का ऐलान करते हैं!” इथोपियन्स की उफनती लहरों पर चक्कर लगाते हुए मूर उत्साह से चिल्लाए.

“हुर्रे!” इथोपियन्स  ने प्रसन्नता से जवाब दिया.

और हर चीज़ एक अकल्पनीय मिश्रण बनाते.हुए दूसरे में समा गई.

“ओह, हैजा, शैतान, गरज, और बिजली!” दूरबीन से खुद को दूर हटाने में असमर्थ मिशेल अर्दान क्रोध से उफन रहा था, “अगर ये बदमाश वहाँ समझौता नहें करते, तो मुझे एस्पन वृक्ष से लटका दो!!! देखिये, सर, वे आपस में गले मिल रहे हैं!”

“मैं देख रहा हूँ,” बर्फ जैसी ठंडी आवाज़ में लार्ड ने जवाब दिया. :मगर मुझे यह जानने में दिलचस्पी है कि इस फ़ौज के रखरखाव के लिए और उन्हें खिलाने में जो खर्चा हुआ है, उसे कैसे पूरा करेंगे?”

“आह, सुनिए तो, डियर सर!” अचानक दोस्ताना अंदाज़ में फ्रांसीसी ने उसे मनाते हुए कहा, “सिवाय उष्णकटिबंधीय बुखार के यहाँ आपको कुछ न मिलेगा. और, मुख्तसिर में, मैं आपको सलाह दूँगा कि ये सारा हंगामा छोड़ दें, और, बिना समय गंवाएं लंगर हटाने का हुक्म दें ... बचाइये अपने आप को!” 

उसने अचानक अपना वाक्य आधा छोड़ दिया और झटके से झुक गया. लार्ड ने यंत्रवत अर्दान का अनुसरण किया. और सही समय पर – इथोपियन तीरों का पूरा बादल, मूरों की गोलियों के साथ-साथ सीधे उनके सिरों के ऊपर से गुज़र गया.  

“उन्हें अच्छा जवाब दो!” लार्ड कैप्टन हैटरस पर गरजा.

हैटरस ने ‘रम’ का खाली हो चुका फ्लास्क एक ओर फेंका, तोप की ओर भागा, और साहसी विरोधियों पर नया गोला दागा. ऊँची उड़ान के बाद उसमें विस्फोट हुआ, ज़बरदस्त धमाके के साथ उसने धूप में गरमा रहे मगरमच्छ के दांत बाहर निकाल दिए और रेज़र जैसे उसके टुकड़ों ने दो बंदरों की पूंछे काट दीं. और मूरों तथा इथोपियन्स की संयुक्त सेना ने तीरों के नए बादल से इसका जवाब दिया, जिनका निशाना बेहद अचूक था. लार्ड की आंखों के सामने सात नाविक प्राण छोड़ते हुए डेक पर गिरे और छटपटाने लगे. उनके चहरों पर धीरे-धीरे संदेहास्पद बैंगनी-लाल धब्बे छाने लगे.

“भाड़ में जाए, यह अभियान!”, पुलिया पर अर्दान की दृढ़ आवाज़ गूँजी. “जवाब दीजिये, सर! क्या आपको दिखाई नहीं देता – उनके पास ज़हर बुझे तीर हैं! या अपने पीछे-पीछे यूरोप में हैजा ले जाना चाहते हैं?

कुलीन लार्ड ने मुट्ठियाँ भींच कर भयानक गालियों की बौछार कर दी, जिन्हें हम बिलकुल भी यहाँ पेश करने की स्थिति में नहीं हैं.

“उनको बिदाई का तोहफा भेजो!” उसने दबी जुबान से हैटरस से कहा.

आखिरकार ‘रम और जो कुछ भी उसने अनुभव किया उस सबसे पूरी तरह बौखला गए तोपची ने अंदाज़ से ही बिदाई के रूप में कुछ गोले दागे, और जहाज़ों ने लंगर उठा दिए.

किनारे से छोड़ा गया तीरों का नया बादल शीघ्रता से भागते हुए जहाजी बेड़े तक नहीं पहुँच पाया.

आधे घंटे के बाद अभियान के जहाज़ खुले समुन्दर में तैर रहे थे. जहाज़ के पीछे उफनते हुए पानी में सात नाविकों की लाशें तैर रही थीं, जिन्हें ज़हर दिया गया था और डेक से फेंक दिया गया था.

और द्वीप कोहरे के कम्बल में दुबक गया, जो धीरे-धीरे उसके पन्ने जैसे हरे किनारों को ढांक रहा था.

Monday, 22 August 2022

लाल द्वीप - १२

 


१२. अजेय बेड़ा


पत्थर की खदान के पास वाले मूरों के बैरेक्स में कुछ ऐसा हुआ, जो अवर्णनीय है. वे आत्मा को झकझोरने वाली आवाजें निकाल रहे थे और वाकई में सिर के बल चल रहे थे. 

इस दिन उन्हें बाल्टियां भर-भर के पहले दर्जे का सुनहरा-पीला शोरवा दिया गया, जिससे वह दूर ही नहीं हो रहे थे. किसी के भी बदन पहले वाले गंदे चीथड़े नहीं दिखाई दे रहे थे, हरेक को छींट की लाल पतलून, और युद्ध का लाल रंग दिया गया था. बैरेक्स के सामने रैपिडफायरिंग राईफल्स और मशीन गन्स को पिरामिड की शक्ल में रखा गया था.

मगर रिकी-टिकी-तवी की शान तो देखते ही बनती थी. उसकी नाक में छल्ले चमक रहे थे, सिर के बालों को रंग-बिरंगे परों से सजाया गया था. चेहरा सर्कस के अरेना के लाल जोकर की तरह चमक रहा था. वह पागल की तरह चारों और घूम रहा था, बिना थके एक ही बात दुहरा रहा था:

“बढ़िया, बढ़िया, बढ़िया! अब तुम मेरे साथ नाचोगे, मेरे प्यारों! बस, थोड़ी देर, और हम आपके पास होंगे. ऐह, बस, आपके पास पहुंच भर जाएँ!...” उसने अपनी उँगलियों से ऐसी हलचल की, मानो किसी की आंख निकाल रहा हो.

 

“सावधान! विश्राम! हुर्रे!” वह लगातार चीखे जा रहा था और शोरवे से भारी हो गए अपने ख़ूबसूरत जवानों की कतार के सामने आगे-पीछे घूम रहा था.

बंदरगाह में तीन बख्तरबंद जंगी जहाज़ भाप छोड़ते हुए खड़े थे, जिन्हें इन अप्रवासी योद्धाओं की बटालियन्स को ले जाना था. इसी समय एक ऐसी अप्रत्याशित घटना हुई जिसने सबका ध्यान आकर्षित कर लिया. जहाज़ों पर चढने के लिए तैयार बटालियन के सामने अचानक न जाने कहाँ से एक छोटे-छोटे बालों वाली, फटेहाल, जर्जर आकृति प्रकट हुई. परेशान मूरों ने, इस विचित्र आकृति को गौर से एकटक देखने के बाद पहचाना, कि ये कोई और नहीं, बल्कि बिना कोई सुराग छोड़े गायब हो गया कोकू-कोकी है. हाँ, ये वही था, खुद वो, जीता जागता! लाल द्वीप का भूतपूर्व सर्वशक्तिमान तानाशाह, जिसे अपने देशवासियों की इतनी प्रशंसा प्राप्त हुई थी. द्वीप से भागने के बाद, लगता है, वह चीथड़ों में लिपटा हुआ, गुप्त रूप से अन्य भगोड़ों की भीड़ में छुप गया था. या पत्थरों की खदान के आसपास भटक रहा था. धरती की कीर्ति कितनी क्षणभंगुर है!

और अब वह इतनी बेशर्मी से मूरों की बटालियन के सामने आकर चापलूसी भरी मुस्कुराहट से गिडगिड़ा रहा था:

“ये क्या बात हुई, भाईयों, क्या आप मुझे बिलकुल भूल गए? मगर मैं तो वैसा ही मूर हूँ, जैसे आप हैं. मुझे भी अपने साथ द्वीप पर ले चलो, अभी भी मैं आपके काम आऊँगा!...”                 

      मगर वह अपनी बात पूरी न कर पाया. रिकी-टिकी-तवी ने, पूरी तरह हरा होकर, झटके से कमर से चौड़ा, तेज़ चाकू निकाला

“महा महान,” परेशानी के कारण फ़ौजी कमांडर योग्य विशेषण याद न कर पाया, “आप...अति स्वस्थ्य,” तैश से थरथराती आवाज़ में, आखिरकार, लार्ड ग्लिनर्वान से मुखातिब हुआ, “यह...हाँ , ये वही, यही तो है वह कोकू-कोकी, जिसके कारण सारा शुरूम-बुरुम हुआ, ये वो...उनकी इथोपियन क्रान्ति पकाई गई! युअर ब्राईट एक्सेलेंसी, खुदा के लिए मुझे इजाज़त दीजिये, मैं अपने हाथों से उसका कुल्हाड़ी-सिर बनाता हूँ!”

“ये आपका अंदरूनी मामला है, हम उनमें दखल नहीं देते. वैसे, यदि आपको इससे खुशी मिलती है, तो प्लीज़, मैं इसके खिलाफ नहीं हूँ.” लार्ड ने भलमनसाहत से, पितृवत स्नेह से जवाब दिया. “सिर्फ, जो करना है, जल्दी करो, जिससे जहाज़ों पर सवार होने में देर न हो.”

“सफाई से करूंगा,” पकमांडर-इन-चीफ खुशी से चीखा, और कोकू-कोकी सिर्फ एक दबी सी चीख ही निकाल पाया था, कि रिकी-टिकी ने उत्कृष्ट प्रहार से एक कान से दूसरे कान तक उसका गला चीर दिया.

इसके बाद लार्ड ग्लिनर्वान और मिशेल अर्दान ने समारोह पूर्वक पूरी बटालियन का निरीक्षण किया और लार्ड ने बिदाई भाषण दिया:

“आगे बढ़ो, एथोपियन्स को कुचलने के लिए! हम अपने जहाज़ की तोपों से सहायता करेंगे. अभियान पूरा होने के बाद सबको पुरस्कार स्वरूप धनराशि दी जायेगी.”

फ़ौजी ऑर्केस्ट्रा गूँज उठा और उसकी गूँज के बीच सभी बहादुर फौजें जहाज़ों पर सवार हो गईं.

खान का अग्निकांड

  खान का अग्निकांड लेखक: मिखाइल बुल्गाकव  अनुवाद: आ. चारुमति रामदास    जब सूरज चीड़ के पेड़ों के पीछे ढलने लगा और महल के सामने दयनीय, प्रक...