Monday, 18 July 2022

लाल द्वीप - १

 

लाल द्वीप

लेखक: मिखाइल बुल्गाकव

अनुवाद: आ, चारुमति रामदास

 

 

कॉम्रेड ज्यूल्स वेर्न का उपन्यास

फ्रेंच से ईसपियन में मिखाइल बुल्गाकव द्वारा अनुवादित  

  

 

पात्र:

द्वीप वासी:

 

सिसी-बुजी – सभी मूरों और इथोपियाई लोगों का सम्राट, यूरोपियन लोगों के आगमन तक द्वीप का निरंकुश शासक; अग्नि-जल का उपासक (अर्थात् अग्नि-जल का प्रशंसक, और भी आसान – शराबी.)

रिकी-टिकी-तवी – द्वीप की सभी सशस्त्र सेनाओं का प्रमुख कमांडर, मूरों से खतरनाक हद तक नफ़रत करने वाला, मगर अग्नि-जल का दुश्मन नहीं.

कोकू-कोकी – या “धूर्त कोकू-कोकी”, एक दुःसाहसी, जो प्राकृतिक आपदाओं में अपने हाथ ताप लेता था और अस्थाई रूप से शासन हथिया बैठा था, मगर उसका अंत बुरा हुआ.

इथोपियन पार्लियामेंट का सदस्य – उपद्रवी  

साधारण सैनिक – मूर

इथोपियन और मूर – योद्धा, मछुआरे, खदानों के कैदी तथा अन्य.

यूरोपियन्स   

 लार्ड ग्लिनर्वान -  प्रसिद्ध अंग्रेज़ बुर्झुआ, ब्रिटिश साम्राज्यवाद की ‘शार्क (यहाँ ‘धूर्त’ से तात्पर्य है – अनु.), जिसे कोम्रेड ज्यूल्स वेर्न प्रकाश में लाये थे.

मिशेल अर्दान – प्रसिद्ध फ्रांसीसी बुर्झुआ, अश्वेत लोगों को लूटने में ग्लिनर्वान का सहयोगी और प्रतिद्वंद्वी. फ्रांसीसी साम्राज्यवाद की ‘शार्क’.     

द्वीप पर नियुक्त अमेरिकन अखबार “न्यू यॉर्क टाइम्स” का विशेष संवाददाता. इतिहास में ज्ञात है कि वह किसी उष्ण कटिबंधीय बीमारी का शिकार है. इसके अलावा इतिहास को उसके बारे कुछ भी ज्ञात नहीं है.   

कैप्टेन गातेरस   लार्ड ग्लिनर्वान की सेवा में एक सनकी उपनिवेशवादी; जिसे कार्यालय के काम के घंटों के दौरान लगातार शराब पीने और लापरवाही के लिए लार्ड द्वारा अवनति करके साधारण तोपची बना दिया गया था. गम के मारे वह और ज़्यादा पीने लगा.

फिलेस फोग – लार्ड का एक और सेवक, अगर ज़्यादा नहीं तो, वैसा ही संक्रमित.

प्रोफ़ेसर जैक पगानेल – फ्रांसीसी उपनिवेशवादियों, मतलब मिशेल अर्दान एंड कंपनी का वैज्ञानिक. निकट दृष्टी वाला, चश्मा पहनता है, बगल में दूरबीन दबाए, भुलक्कड़ परजीवी. पीता तो वाकई में नहीं था, मगर उससे क्या?  

नाविक, सैनिक, सुपरवाइज़र्स और अन्य.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

घटनाक्रम  २०वीं शताब्दी के पूर्वार्ध में घटित होता है.

 

भाग १.

ज्वालामुखी का विस्फोट

 

अध्याय १

भूगोल का इतिहास

 

सागर के असीम विस्तार में, जिसे – शायद, अपने निरंतर तूफानों और अशांति के कारण, - बड़ी चतुराई से कुछ जोकरों द्वारा “प्रशांत” कहा जाता था, ...डिग्री अक्षांश और ...डिग्री देशांश पर एक बड़ा निर्जन द्वीप था. समय बीतता गया, और धीरे-धीरे द्वीप पर एक दूसरे की रिश्तेदार प्रसिद्ध जनजातियां – लाल इथोपियन्स  की, तथाकथित श्वेत मूरों की और किसी अस्पष्ट रंग के मूरों की, जो या तो पीलापन लिए हुए काले या कालापन लिए हुए पीले थे – बस गईं और उसका संचालन करने लगीं. मगर कभी-कभार यहाँ भटकते हुए जहाज़ों के शराबी नाविक द्वीपवासियों के रंग की बारीकियों में भेद करने की ज़रा भी ज़हमत नहीं उठाते थे, और सभी द्वीपवासियों को बस ...काला ही कहते थे. 

जब प्रसिद्ध जहाजी लार्ड ग्लिनर्वान अपने जहाज़ “उम्मीद” पार पहली बार द्वीप पर उतरे, तो उन्होंने देखा कि यहाँ एक अपनी ही तरह की ख़ास सामाजिक व्यवस्था है. इसके बावजूद कि लाल इथियोपियन संख्या में श्वेत और अस्पष्ट रंग के मूरों से दस गुना ज़्यादा थे, सारी सत्ता पूरी तरह इन अंतिम लोगों के हाथों में थी. ताड़ के पेड़ों की छाँव में बनाए गए सिंहासन पर, मछली के अण्डों और टीन के डिब्बों से सजी शानदार पोषाक में द्वीप का शाही शासक सिसी-बुजी बैठा करता था. उसके बाद सम्माननीय स्थानों पर विराजमान थे – सर्वोच्च कमांडर रिकी-टिकी-तवी और सभी मूरों तथा इथियोपियनों के प्रमुख पुजारी.            

उनकी सुरक्षा करती थी मोटे-मोटे डंडों से लैस लाइफ-गार्ड्स की विशेष टुकड़ी, जिसमें रंगीन मूर थे.

लाल इथोपियन्स खामोशी से श्वेत मूरों के मक्के के खेतों में खेती करते, उनके लिए और रंगबिरंगे मूरों के लिए मछली पकड़ते और कछुओं के अंडे इकट्ठा करते.

लार्ड ग्लिनर्वान फ़ौरन पूरी तरह ज्ञात प्रक्रिया को पूरा करने में जुट गया, जो वह हमेशा और हर जगह, जहाँ भी वह जाता, करता था: पहाड़ की चोटी पर ब्रिटेन का झंड़ा फहरा दिया और ऑक्सफ़ोर्ड के लहजे में, अपनी ख़ूबसूरत अंग्रेज़ी जुबान में समारोह पूर्वक घोषणा कर दी:

“आज से ये द्वीप ब्रिटिश साम्राज्य का हुआ!”

मगर, एक खतरनाक गलतफहमी हुई. इथोपियन्स ने, जो अपनी भाषा के अलावा कोई और भाषा नहीं जानते थे, और इसी अज्ञान के कारण भले लार्ड की अंग्रेज़ी ज़रा भी नहीं समझ पाए थे, खुशी के मारे चिल्लाते हुए शाही झंडे को घेर लिया. द्वीप वासियों को उसका कपड़ा बहुत अच्छा लगा और उन्होंने उसके कई तुकडे करके, लंगोटियां बनाकर पहन लीं. ऐसे अपवित्रीकरण के लिए नाविकों ने, लार्ड की आज्ञा से अपवित्र करने वालों को पकड़ लिया, उन्हें ताड़ के पेड़ों के नीचे लिटाकर उनकी जाँघों से  अभागी लंगोटियां उतार लीं और बेरहमी से उन पर कोड़े बरसाए.

इस तरह काले इथोपियन्स का सभ्यता से प्रथम परिचय हुआ, जिसके बाद लार्ड को खुद सिसी-बुजी से सीधा वार्तालाप करना पडा.

महामहिम ने बड़ी ढिठाई से कुलीन लार्ड से कहा कि द्वीप उनका, याने सिसी-बुजी का है, और किसी झंडे-वन्डे की ज़रुरत नहीं है. वार्तालाप के दौरान इस बात का खुलासा हुआ कि लार्ड ग्लिनर्वान से पहले भी दो बार यहाँ खोज करते हुए लोग आ चुके हैं. पहले यहाँ जर्मन आये थे, और उनके बाद कोई और भी, जो मेंढक खाते थे. अपनी बात के प्रमाण में सिसी-बुजी ने अपने गले में पड़े टीन के डिब्बों के खूबसूरत नेकलेस की और इशारा किया. अंत में महामहिम ने बड़ी चतुराई से एक बेहद नाज़ुक विचार प्रकट किया:

“अग्नि-जल – बहुत स्वादिष्ट होता है, हाँ!”      

“देख रहा हूँ, देख रहा हूँ, कि आप इसके बारे में पहले ही जान चुके हैं, कुत्ते के पिल्लों,” ऑक्सफोर्ड की नजाकत से कुलीन लार्ड बुदबुदाया और, दोस्ताना अंदाज़ में सिसी-बुजी के कंधे पर हाथ मारकर, बड़े दिल से उसे इजाज़त दी कि इस आश्चर्यजनक द्वीप को पहले ही की तरह अपनी जायदाद समझे. जहाँ तक ब्रिटिश झंडे का सवाल है, तो यह तय किया गया कि वह भी पहले ही की तरह पहाडी की चोटी पर लहराता रहेगा, - आखिर उससे किसी को कोई दिक्कत तो नहीं हो रही है. और बाकी सब कुछ वैसा ही रहेगा, जैसा पहले था. इसके बाद माल का आदान-प्रदान हुआ. नाविकों ने ‘होल्ड से कांच के मोती, बासी सार्डीन के डिब्बे, सैकरीन और अग्नि-जल की बोतलें निकालीं. इथोपियन्स भी बड़े जोश से  ऊदबिलाव के फर, हाथी दांत, मछली, कछुए के अंडे और मोतियों के ढेर किनारे तक घसीट लाये.  

सिसी-बुजी ने पूरा का पूरा अग्नि-जल अपने पास रखा लिया, सार्डीन भी, मगर कांच के मोती और सैकरीन दया करके इथोपियन्स के लिए छोड़ दिए.

इस घड़ी से नियमित रूप से द्वीप के सुसंस्कृत जगत से संबंध स्थापित हो गए. खाडी में अब अक्सर जहाज़ आते, उनसे किनारे पर अंग्रेज़ी “मौल्यवान” चीज़ें उतारी जातीं, और जहाज़ पर “बेकार” इथोपियन वस्तुएं चढ़ाई जाती. द्वीप पर सफ़ेद पतलून पहने, दांतों में निरंतर पाईप दबाए “न्यू यॉर्क टाइम्स” का संवाददाता रहने लगा, जो शीघ्र ही उष्ण कटिबंधीय बीमारी से ग्रस्त हो गया. स्थानीय इथोपियन डॉक्टरों की सलाह पर उसने अपनी खुजली को स्प्रिट तथा पानी के मिश्रण से ठीक कर लिया, जो एक ख़ास विधि से बनाया गया था : स्प्रिट के एक गिलास में दो बूँदें पानी मिलाकर. इस मिश्रण से काफी हद तक मरीज़ की तकलीफ़ कम हो गई.

दुनिया भर के समुद्री एटलस में इस स्वर्गीय कोने को “इथोपियन द्वीप” नाम से दर्शाया जाने गया.

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