Sunday, 26 February 2023

शैतानियत - ११

 

 

११. ज़बर्दस्त सिनेमा और अंतहीन खाई


लैंडिंग से मोटा कैबिन में कूद गया, जालियों से घिर गया और नीचे की ओर गिर गया, और विशाल, ऊबड़-खाबड़ सीढ़ी पर वे इस क्रम में भागने लगे:

सबसे पहले मोटे की काली हैट,  उसके पीछे – ‘जावक सफ़ेद मुर्गा, मुर्गे के पीछे – कैन्डिलेब्रम जो सबसे ऊपर सफ़ेद नुकीले सिर के ऊपर था, उसके बाद करत्कोव, सोलह साल का लड़का हाथ में रिवाल्वर लिए और कुछ और लोग, जो हील वाले जूतों से धमधम कर रहे थे. सीढ़ी ताँबे की आवाज़ से कराह रही थी, और लैंडिंग्स पर जोश में दरवाजे धड़ाम-धड़ाम कर रहे थे.  

ऊपर की मंजिल से कोई नीचे की ओर झुककर भोंपू में चिल्लाया:

“कौन सा सेक्शन जा रहा है? अज्वलनशील कैश बॉक्स भूल गए हैं!”

नीचे से किसी महिला की आवाज़ ने जवाब दिया:

“डाकू!!”

सड़क पर निकलते भव्य दरवाज़े से करत्कोव, काली हैट और कैन्डिलेब्रम को पीछे छोड़कर सबसे पहले बाहर उछला और, काफी सारी गर्म हवा मुँह में भर लेने के बाद सड़क पर उड़ चला. सफ़ेद मुर्गा धरती में समा गया, अपने पीछे गंधक की बू छोड़ गया, काली लायन-फिश हवा से प्रकट हुई और करत्कोव की बगल में पतली आवाज़ में चीखते हुए उड़ने लगी:

“आर्टिलरी वालों को मार रहे हैं, कॉमरेड्स!”

करत्कोव के रास्ते में आने जाने वाले किनारे को मुड जाते और गलियों में रेंग जाते, अचानक छोटी-सी सीटियाँ बजतीं, और खामोश हो जातीं. कोइ तैश में चीखता, चिढाता, और उत्तेजित, भर्राई हुई चीखें सुनाई देतीं: “पकडो”. खडखड़ाते हुए लोहे के परदे गिरते, और कोई लंगडा, ट्राम की लाईन पर बैठे हुए चीखा:

“हो गया शुरू!”

अब करत्कोव के पीछे फायरिंग हो रही थी, तेज़ी से, खुशनुमा, जैसे क्रिसमस-ट्री के पटाखें हों, और गोलियां कभी किनारे से, तो कभी ऊपर से जूँ-जूँ करते हुए गुज़र रही थीं. लुहार की धौंकनी की तरह गरजते हुए करत्कोव महाकाय की ओर लपका – ग्यारह मंजिल वाली बिल्डिंग की ओर, जिसका किनारे वाला हिस्सा सड़क पर और दर्शनीय भाग एक तंग गली में था. एकदम कोने में कांच का इश्तेहार – ‘रेस्टोरेंट और बियर’ - सितारे की तरह चटक गया था, और अधेड़ उम्र का गाडीवान अपने बक्से से उतर कर फुटपाथ पर बैठ गया, उदास चेहरे के साथ यह कहते हुए:

“शाबाश! क्या, भाईयों, किसी पर भी चला रहे हो, हाँ?...”

गली से बाहर भागकर आये हुए आदमी ने करत्कोव को जैकेट के पल्ले से पकड़ने की कोशिश की, और पल्ला उसके हाथ में रह गया. करत्कोव कोने से मुड़ गया, कुछ गज उड़ा और वेस्टिब्यूल के शीशों वाले हिस्से में भागा.

लेस टाँके और सुनहरे बटनों वाला लड़का लिफ्ट से बाहर उछला और रोने लगा.

“बैठ, चचा. बैठ!” वह बिसूरने लगा. “सिर्फ, मुझ अनाथ को न मार!”

करत्कोव लिफ्ट के डिब्बे में तेज़ी से घुसा, दूसरे करत्कोव के सामने हरे सोफे पर बैठ गया, और रेत पर पडी मछली की तरह सांस लेने लगा. लड़का, सिसकते हुए, उसके पीछे घुसा, दरवाज़ा बंद किया, डोरी पकड़ी, और लिफ्ट ऊपर की ओर चल पडी. और तभी नीचे, वेस्टिब्यूल में, गोलियों की आवाजें गूँजने लगीं और कांच के दरवाज़े गोल-गोल घूमने लगे. 

लिफ्ट हौले से और उकताहट से ऊपर जा रही थी, लड़का, शांत होकर एक हाथ  से अपनी नाक पोंछ रहा था, और दूसरे से रस्सी से खेल रहा था.

“क्या पैसे चुराए हैं, चचा?” फटेहाल करत्कोव को गौर से देखते हुए उसने उत्सुकता से पूछा.     

कल्सोनेर को...हम हमला कर रहे हैं...” हांफते हुए करत्कोव ने जवाब दिया, “हाँ वह आक्रामक हो गया है...”

“चचा, तुम्हारे लिए सबसे अच्छा होगा सबसे ऊपर जाना, जहाँ बिलियार्ड रूम है,” लडके ने सलाह दी, “वहाँ छत पर कुछ देर बैठो, अगर पिस्तौल है तो.”

“चल, ऊपर...” करत्कोव राज़ी हो गया.

एक मिनट बाद लिफ्ट हौले से रुक गई, लडके ने दरवाज़े खोले और, नाक सुड़क कर बोला:

“बाहर निकलो, चचा, छत पर बिखर जाओ.”

करत्कोव बाहर उछला, उसने चारों ओर देखा और गौर से सुनने लगा. नीचे से बढ़ती हुई, ऊपर उठती हुई गडगड़ाहट, बगल से – कांच के पार्टीशन से होकर हड्डियों की गेंदों की खटखट सुनाई दे रही थी, जिसके पीछे परेशान चेहरे झाँक जाते.

लड़का लिफ्ट में घुस गया, दरवाज़े बंद कर दिए और नीचे गडप हो गया. 

बाज़ जैसी नज़र से स्थिति का जायज़ा लेकर, करत्कोव पल भर के लिए हिचकिचाया और फिर युद्ध का आह्वान देते हुए: “आगे बढ़!” बिलियार्ड रूम में भागा. चमकती सफ़ेद गेंदों और बदरंग चेहरों वाले हरे चौक झिलमिला रहे थे. नीचे बिल्कुल नज़दीक कानों को बहरा करने वाली गोली की आवाज़ गूँजी, और कहीं झनझनाते हुए कांच के टुकड़े बिखर गए. 

जैसे कोई सिग्नल पाकर खिलाड़ियों ने अपने अपने डंडे फेंक दिए, और एक कतार में धमधमाते हुए किनारे वाले दरवाजों की ओर लपके. करत्कोव ने उनके पीछे दरवाज़े को कुंडी से बंद कर दिया, इसके बाद धडाम से कांच के प्रवेश द्वार को बंद कर दिया, जो सीढ़ी से बिलियार्ड रूम को जाता था, और पल भर में गोलों से लैस हो गया. कुछ पल बीते, और कांच के पीछे लिफ्ट के पास पहला सिर दिखाई दिया. करत्कोव के हाथ से गोला उड़ा, सीटी बजाते हुए कांच से गुज़रा, और सिर फ़ौरन गायब हो गया. उसकी जगह पर मद्धिम लौ चमकी, और दूसरा सिर प्रकट हुआ, उसके पीछे – तीसरा. गोले एक के बाद एक उड़ते रहे, और पार्टीशन में कांच टूटते रहे. लुढ़कती हुई खटखट ने पूरी सीढ़ी को ढांक लिया, और उसके जवाब में कानों को बहरा करने वाली, सिंगर सिलाई मशीन की तरह मशीन गन ने चीखते हुए सारी इमारत को हिलाकर रख दिया. ऊपरी हिस्से के कांच और फ्रेम्स को जैसे किसी ने चाकू ने काट दिया हो, और बिलियार्ड रूम में प्लास्टर पावडर के बादल की तरह तैरने लगा.

करत्कोव समझ गया कि अपनी पोजीशन पर डटे रहना नामुमकिन है. इधर उधर भागकर, अपने सिर को हाथों से ढांक कर उसने कांच की तीसरी दीवार पर लात मारी, जिसके पीछे विशालकाय बिल्डिंग की चिकनी सिमेंट की छत शुरू हो रही थी. दीवार चटक गई और बिखरने लगी. उफनती हुई आग के बीच करत्कोव छत पर पाँच पिरामिड्स फेंकने में कामयाब हो गया, और वे सीमेंट पर कटे हुए सिरों जैसे बिखर गए.

उनके पीछे करत्कोव भी उछला, और बिलकुल सही समय पर, क्योंकि              मशीनगन ने नीचे झुककर फ्रेम का निचला हिस्सा काट दिया था.

सरेंडर करो!” उस तक अस्पष्ट आवाजें पहुंच रही थीं.

करत्कोव के ठीक सिर के ऊपर मरियल सूरज प्रकट हुआ, बदरंग आसमान, हल्की-सी हवा का झोंका, और जमी हुई सीमेंट. नीचे से और बाहर से शहर उत्तेजित, नरम गडगड़ाहट से अपने होने का एहसास करवा रहा था. सीमेंट पर कूद कर और चारों ओर देखते हुए, तीन गेंदों को पकड़ कर करत्कोव मुंडेर की ओर उछला,  उस पर चढ़ गया और उसने नीचे की ओर देखा. उसका दिल जम गया. उसके सामने घरों की छतें थीं, जो समतल और छोटी प्रतीत हो रही थीं, चौक, जिस पर ट्राम गाड़ियां और कीड़े-मकोड़ों जैसे लोग रेंग रहे थे, और तभी करत्कोव ने भूरी आकृतियों को देखा, जो गली की दरार के पास डान्स कर रही थीं, और उनके पीछे एक भारी खिलौना जिस पर चमकते हुए सुनहरे सिर लगे थे. 

“घेर लिया!” करत्कोव ने आह भरी. “आग बुझाने वाले.”

मुंडेर पर झुककर उसने निशाना लगाया और एक के बाद एक तीन गेंदें फेंकी. वे ऊंचे उडीं, फिर, कमान बनाते हुए, नीचे गिरीं. करत्कोव ने और तीन गेंदें लीं,  फिर से चढ़ गया और हिलाते हुए, उन्हें भी फेंक दिया.

गेंदें चमचमाईं, जैसे चांदी की हों, फिर नीचे आते हुए, काली गेंदों में बदल गईं, बाद में फिर से चमकीं और गायब हो गईं. करत्कोव को ऐसा लगा, कि सूरज से नहाए चौक पर खटमल घबराहट से भाग रहे हैं.  

एक और गेंदों का झुण्ड उठाने के लिए करत्कोव झुका, मगर नहीं उठा पाया. लगातार चरमराहट और बिलियर्ड रूम के चटकते हुए कांच से लोग दिखाई दिए.  छत पर कूद-कूदकर आते हुए वे मटर के दानों की तरह बिखर गए. उड़ती हुई आईं भूरी टोपियाँ, भूरे ओवरकोट, और ऊपर वाले कांच से, ज़मीन को बिना छुए, उड़ा चमकदार बूढा. उसके बाद दीवार एकदम गिर गई, और गरजते हुए रोलर्स  पर निकला भयानक सफाचट कल्सोनेर हाथों में पुरानी ब्लंडरबस बन्दूक पकडे.       

“सरेंडर करो!” सामने से, पीछे से और ऊपर से आवाजें चिंघाड़ रही थीं, और उन सबके ऊपर एक असहनीय, कानों को बहरा करने वाली, बर्तन की टनटनाहट छा गई.

“बेशक,” कमजोरी से करत्कोव चिल्लाया, “बेशक! युद्ध हार गए है. ता-ता-ता!” वह अपने होठों पर तुरही जैसी ‘बीटिंग रिट्रीट की धुन बजाने लगा.

उसकी आत्मा में मौत का साहस हिलोरें लेने लगा. चिपके-चिपके और खुद को संतुलित करते हुए करत्कोव मुंडेर के खम्भे पर चढ़ गया, उसके ऊपर डगमगाया, अपनी पूरी ऊंचाई में तन गया और चिल्लाया:

“शर्मिन्दगी से मौत भली!”

पीछा करने वाले दो ही कदम दूर थे. करत्कोव ने उनके फैले हुए हाथों को देखा, कल्सोनेर के मुँह से आग की लपट उछल कर बाहर आई. धूप की अंतहीनता करत्कोव को ऐसे ललचा रही थी, कि उसकी सांस रुक गई. कर्कश विजयी चीख से वह उछला और ऊपर की ओर उड़ा. पल भर को उसकी सांस टूट गई.

अस्पष्टता से, अत्यंत अस्पष्टता से उसने देखा कि कैसे काले छेदों वाली भूरी चीज़, जैसे विस्फोट की वजह से हो, उसके पास से ऊपर उडी. इसके बाद उसने स्पष्टता से देखा कि भूरी चीज़ नीचे गिर गई, और वह खुद ऊपर उठा, गली की तंग दरार की ओर, जो उसके ऊपर नज़र आ रही थी.

उसके बाद खून जैसा लाल-लाल सूरज झनझनाहट से उसके दिमाग में फूट गया, और उसके बाद उसने बिलकुल कुछ भी नहीं देखा.

 

***


Thursday, 2 February 2023

शैतानियत - १०

 10. खूंखार दीर्किन

शीशे वाली कैबिन नीचे गिरने लगी, और दोनों करत्कोव नीचे गिर गए.

दूसरे करत्कोव को पहला और मुख्य करत्कोव कैबिन के शीशे में भूल गया और अकेला ही ठन्डे गलियारे में बाहर आया. ऊंचा टॉप पहने एक बेहद मोटा और गुलाबी आदमी यह कहते हुए करत्कोव से मिला:

“अद्भुत्. अब मैं आपको गिरफ्तार करता हूँ.”

“मुझे गिरफ्तार करना नामुमकिन है,” करत्कोव ने जवाब दिया और शैतान जैसा हंसने लगा, “क्योंकि मैं न जाने कौन हूँ. बेशक. मुझे ना तो गिरफ्तार किया जा सकता है, और ना ही मेरी शादी करवाई जा सकती है. और मैं पल्तावा नहीं जाऊंगा.”

मोटा खौफ से थरथराने लगा, उसने करत्कोव की आंखों की पुतलियों में देखा और पीछे-पीछे हटने लगा.

“कर ना गिरफ्तार,” करत्कोव ने पतली चीख निकाली और मोटे को वैलेरीन से गंधाती, थरथराती हुई पीली जीभ दिखा दी, “गिरफ्तार कैसे करेगा, अगर डॉक्यूमेंट्स के बदले है – ठेंगा? हो सकता है, मैं गगिन्सोलेर्न हूँ?

“जीज़स क्राईस्ट,” मोटे ने कहा, थरथराते हाथों से उसने सलीब का निशान बनाया और गुलाबी से पीला पड़ गया.

“कल्सोनेर तो नहीं दिखाई दिया?” करत्कोव ने अचानक पूछा और इधर-उधर नज़र दोडाई. “बोल, मोटे.”

“बिलकुल नहीं,” मोटे ने गुलाबी से भूरा होते हुए जवाब दिया.

“अब क्या करें? आँ?

“दीर्किन के पास, कोई और चारा नहीं है,” मोटा हकलाया, “उसके पास जाना सबसे बेहतर है. सिर्फ खूंखार है. ऊफ, खूंखार! पास में मत जाना. दो लोग तो उसके ऊपर से बाहर उड़ गए. आज टेलीफोन तोड़ दिया.”

“ठीक है,” करत्कोव ने जवाब दिया और गरजते हुए थूक दिया, “अब हमें कोई फर्क नहीं पड़ता. उठा!”

“पैर को चोट न लग जाए, कोमरेड ऑफिसर,” करत्कोव को लिफ्ट में बिठाते हुए मोटे ने प्यार से कहा.

“ऊपर वाले प्लेटफोर्म पर सोलह साल का लड़का मिला और वह डरावनी आवाज़ में चिल्लाया,

“कहाँ जा रहा है? रुक जा!”

“मार मत, चचा,” मोटे ने सिकुड़कर हाथों से सिर को ढांकते हुए कहा, “सीधे दीर्किन के पास जा रहे हैं.”

“जाओ,” छोटा चीखा.

मोटा फुसफुसाया,

“आप जाइए, युअर एक्सेलेन्सी, और मैं यहाँ, बेंच पर, आपका इंतज़ार करूंगा.”

बहुत तकलीफ है...

करत्कोव अँधेरे प्रवेश कक्ष में आया, और वहाँ से खाली हॉल में, जिसमें पुराना नीला कालीन था.

“दीर्किन” की नेम-प्लेट वाले दरवाज़े के सामने करत्कोव कुछ हिचकिचाया, मगर फिर भीतर घुसा और उसने अपने आप को आरामदेह ऑफिस रूम में पाया, जिसमें लाल रंग की मेज़ थी और दीवार पर घड़ी थी. नाटा, मोटा दीर्किन स्प्रिंग की तरह मेज़ के पीछे से उछला, और मूंछों पर ताव देते हुए गरजा:

“ख-खामोश!...” हाँलाकि करत्कोव ने अब तक कुछ भी नहीं कहा था.

उसी समय ऑफिस रूम में ब्रीफकेस लिए एक बदरंग नौजवान प्रकट हुआ. दीर्किन का चेहरा फ़ौरन मुस्कुराती झुर्रियों से भर गया.

“आ-आ!” वह मिठास पूर्वक चिल्लाया, “आर्थर आर्थरिच. हमारा आपको सलाम.”

“सुन, दीर्किन,” नौजवान धातु जैसी टनटनाती आवाज़ में कहने लगा, “क्या तुमने पुज़िर्योव को लिखा कि मैं ‘वेलफेयर सेक्शन’ में अपनी मनमानी करता हूँ, और मैंने मई के महीने के वेलफेयर फंड का पैसा खा लिया है? तुमने? जवाब दे, घटिया कमीने.”

“मैंने?...” जादू से खूंखार दीर्किन से भले दीर्किन में परिवर्तित होते हुए दीर्किन बुदबुदाया, “- मैंने, आर्थर दिक्तातूरीच...मैंने. बेशक...आप बेकार ही में...”

“आह तू, कमीने, कमीने,” नौजवान ने दुहराया, सिर हिलाया और, ब्रीफकेस हिलाते हुए दीर्किन के कान पर उसे इतनी जोर से दबाया, मानो प्लेट में पैन केक निकाल रहा हो.        

करत्कोव यंत्रवत कराहा और जम गया.

“ऐसा ही होगा तुम्हारे साथ, और हर उस निकम्मे के साथ, जो मेरे मामलों में नाक घुसेडेगा,” नौजवान ने बड़े रौब से कहा और, जाते जाते करत्कोव को लाल मुट्ठी से धमकाते हुए बाहर निकल गया.

दो मिनट कैबिन में खामोशी रही, और सिर्फ कैन्डिलेब्रम से लटकते हुए पेंडेंट कहीं से गुज़रते हुए ट्रक के कारण खनकते रहे.

“ये, नौजवान,” कड़वाहट से मुस्कुराते हुए भले और अपमानित दीर्किन ने कहा, “यह है इनाम मेहनत का. रातों को पूरी नींद नहीं होती, भर पेट खाना नहीं खाते, जी भर के पीते नहीं हो, और नतीजा हमेशा एक सा – खाओ थोबड़े पे. हो सकता है, कि आप भी उसी के लिए आये हैं? तो क्या...मारो दीर्किन को, मारो. उसका थोबड़ा सरकारी है. हो सकता है आपको हाथ से मारने में तकलीफ हो? तो आप कैन्डिलेब्रम ले लीजिये.”

और दीर्किन ने बड़ी अदा से लिखने की मेज़ के पीछे से अपने फूले-फूले गाल आगे कर दिए. तिरछी नज़र से देखते हुए करत्कोव मुस्कुराया और उसने कैन्डिलेब्रम की टांग पकड़ कर उसे उठाया और झन्न से दीर्किन के सिर पे मोमबत्तियां दे मारीं. उसकी नाक से कपडे पर खून टपकने लगा, और वह, ‘चौकीदार चिल्लाते हुए, भीतरी दरवाज़े से भाग गया.

“कू-कू!” जंगल की कोयल खुशी से चिल्लाई और दीवार पर बने न्यूरेन्बर्ग के छोटे से घर से उछल कर बाहर आई.

“कू-क्लूक्स-क्लान!” वह चिल्लाई और गंजे सिर में बदल गई.

“नोट करेंगे कि आप कैसे कर्मचारियों को मारते हैं!”

करत्कोव तैश में आ गया. उसने कैन्डिलेब्रम घुमाया और उसे घड़ी पर दे मारा.

घड़ी ने गरज और सुनहरे तीरों की बौछार से जवाब दिया. 

कल्सोनेर घड़ी से बाहर उछला और सफ़ेद मुर्गे में बदल गया जिस पर लिखा था “जावक” और दरवाज़े में दुबक गया. फ़ौरन भीतरी दरवाजों के पीछे से दीर्किन की चीख आई:

“पकड़ उसे, डाकू को!”, और चारों ओर से लोगों के भारी कदम धमधमाने लगे.

करत्कोव मुड़ा और भागने लगा.

खान का अग्निकांड

  खान का अग्निकांड लेखक: मिखाइल बुल्गाकव  अनुवाद: आ. चारुमति रामदास    जब सूरज चीड़ के पेड़ों के पीछे ढलने लगा और महल के सामने दयनीय, प्रक...